बंगाल में कांग्रेस व वामों के वोटर हो रहे भाजपा की ओर शिफ्ट

कोलकाता। पिछले एक साल में पश्चिम बंगाल में हुए उपचुनावों में भाजपा के वोट शेयर में क्रमिक वृद्धि से सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को कोई खतरा नहीं है। पश्चिम बंगाल के कई राजनीतिक पर्यवक्षकों की मानें तो भगवा पार्टी तृणमूल की बजाय विपक्षी माकपा व कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा रही है जिसका लाभ तृणमूल को ही मिल रहा है और पार्टी के लिए आसान जीत सुनिश्चित कर दी है।

पर्यवेक्षकों के अनुसार, पिछले एक साल में तमलुक, दक्षिण कांथी, कूचबिहार और सबंग उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि भाजपा ने अपना वोट शेयर बढ़ाया है, लेकिन इसके विपरीत तृणमूल ने अपनी जीत के साथ वोट मार्जिन में इजाफा किया है। दूसरी तरफ माकपा व कांग्रेस के वोट शेयर में काफी कमी आई है। इसका मतलब यह है कि राज्य में माकपा व कांग्रेस के पारंपरिक मतदाता को भाजपा के रूप में एक नया विकल्प मिला है और वे भगवा पार्टी की ओर रुख कर रहे हैं।

एक पर्यवेक्षक ने बताया कि 2011 में 34 साल की सत्ता गंवाने के बाद से माकपा पिछले सात वर्षो में अपनी पूरी ताकत खो चुकी है। वहीं, भाजपा के हाथों अपने परंपरागत वोट गंवाने से वह इतनी परेशान हो गई है कि हाल में हुई तीन जिला कमेटियों की मीटिंग में माकपा नेताओं ने इसपर गंभीर चर्चा की है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक सोमनाथ बनर्जी के अनुसार, मुख्य विपक्षी के तौर पर भाजपा के उभरने से रोकने के लिए माकपा व कांग्रेस के पास एकमात्र तरीका यह है कि वह इस साल पंचायत चुनाव व 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक मजबूत गठबंधन करे। चुनाव पूर्व गठजोड़ कर एकजुटता के साथ संयुक्त अभियान शुरू करना उसके लिए फायदेमंद रहेगा। तभी वह अपने वोट बैंक में सेंध लगाने से भाजपा को रोक सकती है।

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