मोदी के अस्मिता इमोशनल कार्ड को मुखरता से थामेगी कांग्रेस

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव में इस बार सब कुछ झोंकने के साथ बेहद सावधानी बरत रही कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुंआधार सियासी प्रहार को थामने के लिए मैदान में उतर गई है। मोदी के गुजराती अस्मिता के साथ इमोशनल कार्ड का दांव चलने का पहले से ही अंदाजा लगा रही पार्टी ने उनके वार का तथ्यों से जवाब देने की रणनीति अपनाने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं को मोर्चा संभालने के लिए मैदान में उतर गए हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद मंगलवार को सोमनाथ मंदिर के दर्शन के बाद पीएम मोदी के अस्मिता के दांव को चुनौती देंगे।

वहीं कांग्रेसी दिग्गजों को पदयात्रा से लेकर घर-घर दस्तक देकर पीएम के दावों को खारिज करने के लिए लोगों के बीच तथ्यों के पर्चे और बुकलेट पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया है। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया के जरिए तो राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा और मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने गुजरात के सियासी मैदान में उतर कर पार्टी के जवाबी प्रहार की सोमवार को शुरूआत भी कर दी। राहुल की सोमनाथ में तो कोई सियासी सभा नहीं होगी मगर मंदिर में दर्शन और स्वागत के बाद वे जूनागढ और अमरेली जिले की अपनी सभाओं के दौरान पीएम पर वार का मोर्चा खोलेंगे।

हालांकि मोदी निजी हमले से कांग्रेस बचेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार गुजरात के मैदान में उतारे जा रहे नेताओं को भी आक्रामकता में मोदी पर निजी आक्षेप करने से बचने की खास सलाह दी गई है। युवा कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की चाय वाली विवादित टिप्पणी से हुए सियासी बवाल को देखते हुए पार्टी चुनाव अभियान के इस उफान में पीएम और भाजपा को इमोशनल कार्ड का दांव सिरे चढ़ाने का मौका नहीं देना चाहती।

गुजरात में संभावनाओं के बीच केवल मोदी को अंतर मान रही कांग्रेस की रणनीति पीएम के धुंआधार प्रचार की आंधी का जमीनी असर थामे रहने की है। ताकि चुनाव में इस बार उलटफेर की किसी संभावना का दरवाजा खुला रखा जा सके। इसीलिए पीएम की गुजरात में हुई पहली चार रैलियों मेंकांग्रेस पर दागे गए सवालों का तथ्यों समेत जवाब देने के लिए आनंद शर्मा को प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए मंगलवार को गुजरात भेजा गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को मीडिया मंचों के अलावा पदयात्रा से लेकर नुक्कड़ सभाआंे के जरिए भी पीएम के दावों की असलियत बताने के लिए कहा गया है। कहा जा रहा है कि सवाल निजी शख्सियत का नहीं बल्कि यह है कि 42 महीने बाद भी अच्छे दिन के वादे का क्या हुआ? चिदंबरम ने चुटकी लेते हुए कहा कि गुजरात और गुजरातियों में खुद को पीड़ित बताने की कोशिश में मोदी यह भी भूल गए हैं कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं।

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