ट्यूमर के कारण चलना-फिरना हो गया था मुश्किल, अब महिला को मिला इंडेक्स अस्पताल में जीवनदान
इंदौर। शहर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में डॉक्टर्स की टीम ने 40 साल की महिला के पेट से 1.6 किलो का ट्यूमर निकाला है। इंडेक्स अस्पताल के डॉक्टर्स के मुताबिक, महिला के पेट में ट्यूमर था। सर्जरी सफल रही है और अब मरीज स्वस्थ है। सफल सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. नाज़िया नूर, डॉ. संजय पाटीदार और डॉ. नीलम बागवाले शामिल थे। उन्होंने बताया कि “ट्यूमर का साइज इतना फैल गया था कि बाकी ऑर्गन पर भी प्रेशर बढ़ रहा था। हमने तुरंत सर्जरी की प्लानिंग की और परिवार वालों को सर्जरी के लिए कहा गया।”
इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया ने महिला मरीज की सफल सर्जरी करने वाली पूरी टीम की सराहना की। साथ ही उन्होंने आगे भी मरीज़ों को बेहतर उपचार प्रदान करने के लिए सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को प्रेरित किया। सफल सर्जरी करने वाली टीम में मुख्य रूप से डॉ. नाज़िया नूर (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग), डॉ. संजय पाटीदार (एसोसिएट प्रोफेसर – सर्जरी विभाग) और डॉ. नीलम बागवाले (असिस्टेंट प्रोफेसर- गायनेकोलॉजी विभाग) और अन्य स्टाफ के सदस्य शामिल थे।
डॉ. नाज़िया नूर (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग) ने बताया कि “40 वर्षीय महिला को गर्भाशय के पीछे 16 सेंटीमीटर की गांठ थी, जिसे कि ब्रॉड लिगामेंट फाइब्रॉइड के नाम से जानते हैं। इस गांठ के साथ मुलाशय और पेशाब की नली चिपकी हुई थी। हमारी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स की टीम के द्वारा इस गांठ को सफलतापूर्वक सर्जरी के माध्यम से निकाला गया। मैं इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया सर को धन्यवाद देती हूँ, जिन्होंने अस्पताल में इस तरह की व्यवस्था उपलब्ध करवाई है जिससे की हम जटिल से जटिल सर्जरी करने में सक्षम हुए हैं। साथ ही सर हमेशा ही हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने को प्रेरित करते रहते हैं।”
डॉ. नीलम बागवाले (असिस्टेंट प्रोफेसर- गायनेकोलॉजी विभाग) ने बताया कि “मात्र तीन महीने में ही मरीज के पेट का ट्यूमर 5 से 16 सेंटीमीटर तक हो गया था, जिसका पता हमें एमआरआई में चला। अल्ट्रासाउंड करने पर हमें यह ब्रॉड लिगामेंट फाइब्रॉइड जैसा लगा। साथ ही सर्जरी के पहले हमने मरीज की कैंसर से संबंधित जांचे भी करवाई। इस सर्जरी की प्रक्रिया में हमने सबसे पहले युरेटर को चोट न पहुंचे इसलिए युरेटर में स्टेंट डलवा दिया था। सर्जरी के दौरान युरेटर को अलग किया और चिपकी हुई आंतो को भी अलग किया गया। सर्जरी कर जो ट्यूमर निकाला वह 1.6 किलो का था। साथ ही हमने बच्चेदानी को भी निकाला। अब मरीज पूर्णतः स्वस्थ है।”
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