न्यूज़ डेस्क : वेस्ट सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का उद्देष्य संयंत्रों को अपने जीरो वेस्ट के लक्ष्य परिभाशित करने, उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करने और उन्हें हासिल करने में समर्थ बनाना है। इसके लिए वो अपने कार्बन फुटप्रिंट कम कर सार्वजनिक स्वास्थ्य में सहयोग करते हैं। ट्रू-सर्टिफाईड स्पेस सस्टेनेबिलिटी को सपोर्ट करते हैं और जो संयंत्र सर्वाधिक रेटिंग हासिल करते हैं, उन्हें लैंडफिल, इंसिनरेषन (कचरे से ऊर्जा) या फिर पर्यावरण के लिए अपने कचरे को न्यूनतम करने के लिए सम्मानित किया जाता है।
कोलगेट इंडिया के सभी चार विनिर्माण संयंत्र- बद्दी (हिमाचल प्रदेष), गोवा, सानंद (गुजरात) और श्री सिटी (आंध्रप्रदेष) ने सर्वोच्च स्तर का प्लेटिनम सर्टिफिकेषन प्राप्त किया है। इस प्रकार कोलगेट इंडिया यह सम्मान पाने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई।
श्री इसाम बचलानी, मैनेजिंग डायरेक्टर, कोलगेट पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड ने कहा, ‘‘कोलगेट इंडिया पर हम अपने सभी प्लांट एवं आॅफिसों में निरंतर रिड्यूस-रियूज़-रिसाइकल के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं। कर्मचारियों को वेस्ट को कम से कम करने पर षिक्षित और प्रोत्साहित करने तथा परिवर्तन लाने की विधियों का क्रियान्वयन करने के लिए हमारे पास समर्पित टीम हैं। उदाहरण के लिए 2018 में 1.2 मिलियन किलोग्राम बेकार वेस्टवाटर साॅलिड लैंडफिल्स में भेजने की बजाए सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजा गया और उससे सीमेंट बनाया गया। हमारे पर्यावरण, लोगों और समुदायों की सेहत व सुरक्षा की ख्याल रखना कोलगेट का महत्वपूर्ण अंग है और ट्रू जीरो वेस्ट प्लेटिनम सर्टिफिकेषन उस विष्वास के अनुरूप है।’’
महेश रामानुजम, प्रेसिडेंट एवं सीईओ, यूएस ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल और जीबीसीआई ने कहा, ‘‘जीरो वेस्ट किसी भी कंपनी की सस्टेनेबिलिटी और काॅर्पोरेट सोषल रिस्पाॅन्सिबिलिटी की कार्ययोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाजारों का षहरीकरण और उद्योगीकरण हो रहा है, षहरों एवं बिज़नेस में कचरे की मात्रा बढ़ रही है, जिसके कारण संसाधनों एवं समुदायों पर दबाव पड़ रहा है। भारत में अपने चार विनिर्माण संयंत्रों में ट्रू सर्टिफिकेषन हासिल करने के लिए कोलगेट पाॅमोलिव का समर्पण हमें जीरो वेस्ट समुदाय बनने के नजदीक लाता है, जो सभी के लिए सेहतमंद होगा। ट्रू सर्टिफाईड संयंत्र पर्यावरण के लिए जिम्मेदार, ज्यादा प्रभावषाली संसाधन वाले हैं और कचरे से भी बचत करने में मदद करते हैं।
लूप को बंद करके वो ग्रीनहाउस गैसों में कटौती करते हैं, जोखिम का प्रबंधन करते हैं, प्रदूशण और कचरा कम करते हैं, संसाधनों का स्थानीय स्तर पर पुनः उपयोग करते हैं, नौकरियों का निर्माण करते हैं और अपनी कंपनी व समुदाय के लिए ज्यादा महत्व स्ािापित करते हैं। हम परफाॅर्मेंस बढ़ाकर जीरो वेस्ट की कार्ययोजनाओं के क्रियान्वयन में सबसे आगे रहने के कोलगेट-पामोलिव के प्रयासों की सराहना करते हैं, जिनसे सभी के लिए एक सतत भविश्य के निर्माण में मदद मिलती है।’’
ट्रू जीरो वेस्ट सर्टिफिकेषन प्राप्त करने के लिए कोलगेट इंडिया ने न केवल रिड्यूस-रियूज़-रिसाइकल सिद्धांत का क्रियान्वयन किया, बल्कि कचरे को डाईवर्ट भी किया, जो अन्यथा लैंडफिल में जाने वाला था। इस कचरे को कंपोस्टिंग, जीरो वेस्ट परचेज़िंग, खतरनाक वेस्ट प्रिवेंषन, रिडिज़ाईनिंग, इनोवेषन, कर्मचारी प्रषिक्षण जैसी प्रक्रियाओं द्वारा डाईवर्ट किया गया, ताकि दृश्टिकोण में परिवर्तन आ सके। एक इनहाउस ग्रीन टीम ने कोलगेट के सभी चारों प्लांट्स में कर्मचारियों को हर संभव कदम पर वेस्ट को डाइवर्ट करने के लिए प्रेरित किया, जिससे अनेक नए विचारों का जन्म हुआ। उदाहरण के लिए वेस्टवाटर साॅलिड्स को सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजा गया, प्लास्टिक ट्यूब्स से फर्नीचर बनाया गया, पैकेजिंग मटेरियल का पुनः उपयोग किया गया, कच्चे माल के लिए उपयोग में आने वाले ड्रम को डस्ट बिन के रूप में इस्तेमाल किया गया, एनजीओ से जुड़कर फूड का वेस्टेज कम किया गया, जो अतिरिक्त फूड को सुविधाहीन लोगों तक पहुंचाती है तथा बचे फूड को जानवरों के लिए भेजा गया, कैफेटेरिया में पुनः उपयोग में आने वाले स्टेनलेस स्टील के बर्तनों का उपयोग किया गया, आॅर्गेनिक वेस्ट को कंपोस्ट कर उसे साईट पर पौधों/सब्जियों के लिए साॅइल कंडीषनर के रूप में उपयोग में लाया गया।
संयंत्रों ने न्यूनतम सात प्रोग्राम का पालन कर एवं ट्रू जीरो वेस्ट रेटिंग सिस्टम में 81 क्रेडिट प्वाईंट्स में से कम से कम 31 हासिल करके ट्रू जीरो वेस्ट सर्टिफिकेषन प्राप्त किया। एक प्रोजेक्ट जितने क्रेडिट प्वाईंट अर्जित करता है, उनकी संख्या इसके द्वारा प्राप्त किए जाने वाले सर्टिफिकेषन (सिल्वर, गोल्ड या प्लेटिनम में सर्टिफाईड, प्लेटिनम सबसे ऊँची रैंक) का निर्धारण करती है। ये रैंक कुल प्वाईंट्स पर निर्भर हैं, जो विविध श्रेणियों में हासिल किए जा सकते हैं।
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