चंडीगढ़। दादूपुर नलवी नहर परियोजना को लेकर विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने एक दूसरे को कठघरे में खड़ा करते हुए किसान विरोधी होने के आरोप जड़े। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हुड्डा पर आरोप लगाया कि 2008 में ही इस परियोजना को बंद करने की नींव डाल दी गई थी। तब हुड्डा सरकार ने नहर को बरसाती नाले में बदल दिया था।
इनेलो और कांग्रेस के काम रोको प्रस्ताव पर करीब साढ़े तीन घंटे की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि दादूपुर नलवी नहर की योजना 1980 में बनी और 1984-85 में 167 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ। योजना तो यह थी कि यमुना का पानी दक्षिण हरियाणा तक पहुंचाया जाए। एसवाईएल के पानी का उपयोग करने के लिए दादूपुर-नलवी व हांसी-बुटाना नहरें बनाई गई, लेकिन हुड्डा सरकार ने योजना का स्वरूप ही बदल दिया।
मनोहर लाल ने कहा कि सबसे बड़ा झटका 2004-05 में तब लगा जब नहर को 12 माह चलाने की बजाय केवल बारिश के दिनों में चलाने का निर्णय लिया गया। फिर 2008 में हुड्डा सरकार ने नहर के साथ बनने वाली डिस्ट्रीब्यूटरी व छोटे माइनरों को भी समाप्त करने का फैसला लिया। उस समय 22 चैनल बनने थे। इन कार्यों के लिए 1200 एकड़ भूमि भी किसानों के विरोध के कारण अधिगृहीत नहीं की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने जमीन इसलिए डी-नोटिफाई की, क्योंकि इससे कोई फायदा नहीं हो रहा था। उन्होंने हुड्डा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आपने किसान को किसान से लड़वा दिया। हाई कोर्ट ने इन्हांसमेंट का जो फैसला सुनाया है, उसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पीटिशन डालने को कहा है। उन्होंने कहा कि अगर नहर के बीच की जमीन कोई किसान वापस लेता है तो इस हिस्से में जमीन के नीचे से पाइप लाइन बिछाई जाएगी ताकि पानी आगे तक पहुंच सके।
News Source: jagran.com
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