नोएडा। चिकित्सा जगत के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई दिल 210 मिनट तक खामोश रहा हो और इसके बाद फिर से धड़कने लगा हो। यह कारनामा सेक्टर 27 स्थित कैलाश अस्पताल के डॉक्टरों ने कर दिखाया है।
एक मरीज की मुख्य धमनी का ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टरों को साढ़े तीन घंटे तक दिल को खामोश रखना पड़ा। करीब 10 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद मरीज को नया जीवन मिला। इस दौरान दिमाग सहित शरीर के अन्य भागों तक रक्त का संचार सुचारू रखने के लिए डॉक्टरों ने कृत्रिम तरीकों का इस्तेमाल किया।
कैलाश हृदय संस्थान के मुख्य हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश मैथ्यू ने बताया कि चिकित्सीय किताबों में अधिकतम 180 मिनट तक दिल के फंक्शन (कार्य) को रोके जाने का तरीका मौजूद है, लेकिन यहां उससे 30 मिनट अधिक तक दिल को शांत रखा गया।
हृदय का फंक्शन रोके जाने से शरीर का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया यानी शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था। महाधमनी का ऑपरेशन सफल होने के बाद जब पुन: रक्त की सप्लाई हृदय तक पहुंची तो वह दोबारा धड़क उठा। उन्होंने बताया कि यह बेहद जटिल ऑपरेशन था। इसमें 33 यूनिट रक्त लगा, जिसे परिजन व गांव के लोगों ने दिया।
इस दौरान हृदय के रक्त प्रवाह को हार्ट लंग मशीन द्वारा स्थानांतरित किया गया। महाधमनी एवं उसके वाल्व को सिंथेटिक् डेक्रॉन ग्राफ्ट तकनीकि द्वारा कृत्रिम वाल्व से बदला गया। मरीज को कृत्रिम सांस की मशीन पर रखा गया।
सेक्टर 110 स्थित भंगेल निवासी 44 वर्षीय नंद किशोर फेस-2 स्थित एक निजी कंपनी में काम करते हैं। गत 18 दिसंबर को सुबह जाेगिंग के दौरान सीने में अचानक असहनीय दर्द उठा और वह बेहोश होकर गिर पड़े। शरीर पसीने से लतपथ हो गया। तुरंत परिजनों ने उन्हें कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया।
पहले डॉक्टरों को लगा कि यह हृदयाघात है, लेकिन जांच में पता चला कि हृदय को रक्त सप्लाई करने वाली महाधमनी की आंतरिक सतहें फट चुकी हैं। इसके अलावा मरीज की धमनी जन्मजात ही दो हिस्सों में बंटकर दोषपूर्ण थी। इससे हृदय को रक्त सप्लाई नहीं हो पा रहा था ।
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