सिम्स हास्पिटल अहमदाबाद ने सफलतापूर्वक तीसरा हृदय प्रत्यारोपण किया ऽ 90 मिनिट के रिकार्ड समय में सूरत से अंगो का परिवहन किया
गया अहमदाबाद: अहमदाबाद स्थित सिम्स हास्पिटल ने आज सफलतापूर्वक एक और हृदय प्रत्यारोपित कर शल्य क्रिया में एक और मील का पत्थर स्थापित किया। सूरत में सड़क दुर्घटना के कारण मस्तिष्क से मृत घोषिक किए गए 21 वर्षीय अमित हरपति के परिजनों द्वारा दान किए गए उनके हृदय को 31 वर्षीय सोहेल वोरा के शरीर में प्रत्यारोपित करने के लिए सूरत से अहमदाबाद लाया गया था।
हृदय प्रत्यारोपण की शल्य क्रिया सिम्स हास्पिटल के डाॅ. धीरेन शाह, डाॅ. धवल नाइक तथ डाॅ. अजय नाइक ने कार्डिएक सर्जन डाॅ. मनन देसाई, डाॅ. शौनक शाह, कार्डिएक एनेस्थेटिस्ट डाॅ. चिंतन सेठ, डाॅ. हिरेन ढोलकिया तथा डाॅ. निरेन भावसार और ट्रांसप्लांट कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. मिलन चाग की टीम के साथ मिलकर निष्पादित की गई । सोहेल पिछले 20 वर्षों से डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी की गंभीर अवस्था से पीडित थे। इस स्थिति में हृदय का आकार बढ जाता है तथ सामान्य तरीके से रक्त की पंपिंग करने की प्रक्रिया अवरूद्ध हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप फेफड़ों, लीवर तथा शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन सभी परेषानियों से त्रस्त सोहेल को चार साल पहले पेसमेकर लगाया गया था ।
लेकिन उसकी परेषानियां कम नहीं हुई थी । इस बारे में सिम्स हास्पिटल के डायरेक्टर तथा कार्डियोथोरासिक एण्ड वेस्कुलर सर्जन और हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डाॅ. धीरेन शाह ने कहा कि ‘‘सिम्स हास्पिटल ने अपनी सर्वोत्तम योग्यताओं का उपयोग कर रोगियों की मदद करने के लिए कार्डिएक रिसर्च में काफी प्रगति की है। यहां की टीम द्वारा निष्पादित यह तीसरा सफल हृदय प्रत्यारोपण है। सामान्यत: हृदय प्रत्यारोपण के परिणाम किडनी प्रत्यारोपण जितने ही अच्छे हुए हैं तथा हमने देखा है कि लम्बे समय तक जीवित रहने की दर भी बहुत अच्छी रही है। जब पर्याप्त सावधानी बरती जाती है तो रोग के बढने के अवसर कम हो जाते हैं। भविष्य की कार्यवाही करने से पहले हम अगले 10 से लेकर 14 दिनों तक उपचार के प्रति रोगी की अनुक्रिया की प्रगति पर निगरानी रखेंगे। सिम्स ने इस साल जून में सफलतापूर्वक अपना दूसरा हृदय प्रत्यारोपण किया था जबकि 19 दिसम्बर 2016 में एक 50 वर्षीय रोगी के शरीर में पहला प्रत्यारोपण किया था।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सिम्स हास्पिटल, अहमदाबाद के कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलाॅजिस्ट डाॅ. अजय नाइक ने कहा कि ‘‘ जिस रोगी के शरीर में हृदय प्रत्यारोपित किया गया है उसने 2013 मंे पहली बार हमसे परामर्ष लिया था। तब उसका गंभीर हार्ट फेल्योर हुआ था। तब हमने उसके शरीर में एक विषेष उपकरण कार्डिएक रिसींक्रोनाइजे़षन थैरेपी (सीआरटी) लगाया था। इससे उसकी हालत में सुधार हुआ तथा वह चार साल तक जीवित रहा । लेकिन जैसे जैसे उसका हृदय रोग बढने लगा उसे यह समस्या फिर से होने लगी । उसे सामान्य जीवन जीने लायक बनाने के लिए उसके लिए केवल हृदय का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। ‘‘
अंगदान के महत्व पर प्रकाष डालते हुए कार्डिएक सर्जन तथा हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डाॅ. धवल नाइक ने कहा कि ‘‘यदि मस्तिष्क मृत घोषित किए गए व्यकित के अंग दान किए जाएं तो इससे जीवन के लिए घातक बीमारियों से जुझ रहे 8 लोगों के शरीर में दान मंे प्राप्त महत्वपूर्ण अंगों को प्रत्यारोपित कर उन्हें जीवनदान दिया जा सकता है। ‘‘ सूरत से अहमदाबाद तक हृदय के परिवहन के लिए आइआरएम लिमिटेड ने तत्कालिकता के आधार पर उड़ान सेवा प्रदान की थी। प्रगत चिकित्सीय अधोसंरचना तथा चिकित्सकों के सर्वश्रेष्ठ दल से सुसज्जित 17 हजार वर्गफीट में फैला सिम्स हास्पिटल अहमदाबाद विषाल अतिआधुनिक भवनों का संगम है। इसे जेसीआई, एनएबीएच तथा एनएबीएल से अधिमान्यता प्राप्त है और इसे गुजरात हृदय प्रत्यारोपण करने वाले में पहले हार्ट ट्रांसप्लांट हास्पिटल का गौरव हासिल है। दो भवनों में फैला 300 से अधिक बिस्तरों वाले भारत के सिम्स हास्पिटल के यह दोनों भवन रोगियो की सुविधा के लिए एक एयरो-ब्रिज की मदद से जुडे हुए हैं।
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