चुनावी वजह से सरकार ने एअर इंडिया को बेचने का फैसला टाला

नई दिल्ली । कर्ज के बोझ से दबी सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया के विनिवेश की योजना फिलहाल टल गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक चुनावी साल को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है। इसे बेचने के बजाय सरकार अब इस एयरलाइन के ऑपरेशन के लिए जरूरी फंड मुहैया कराया जाएगा। मालूम हो कि सरकार एअर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती थी, लेकिन तय वक्त 31 मई तक कोई बोली लगाने नहीं आया था।

बैठक सूत्रों के मुताबिक एअर इंडिया को जल्द ही अपने नियमित संचालन के लिए सरकार से फंड मिलेगा और कंपनी दो विमानों के लिए ऑर्डर भी जारी करेगी। उन्होंने कहा, एयरलाइन को लगातार अपनी उड़ानों के संचालन में मुनाफा हो रहा है। कोई भी उड़ान खाली नहीं जा रही है। लागत कम करने के सभी उपाय सख्ती से लागू किए जा रहे हैं। एयरलाइन की संचालन क्षमता बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे में एयरलाइन के विनिवेश की जल्दबाजी करने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है।

– मंत्रियों की बैठक में हुआ फैसला
सोमवार को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी, जिसमें यह फैसला किया गया। बैठक में प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल, नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और संबंधित मंत्रालयों के कई वरिष्ठ अफसर मौजूद थे।

जून 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) से एअर इंडिया के विनिवेश की मंजूरी मिली थी। तब कहा गया था कि यह एयरलाइन 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी है। हालांकि, यह साफ किया गया था कि सरकार तब तक एअर इंडिया को नहीं बेचेगी जब तक उसे सही कीमत नहीं मिल जाती है। अगर बोली पर्याप्त नहीं होती तो सरकार के पास यह अधिकार है कि इसे बेचे या ना बेचे।

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