भोपाल : राजधानी की महिला कॉलेजों के सामने मंडराने वाले शोहदों से निपटने के लिए नगर निगम महिला पुलिस केंद्र खोलने जा रहा है। पहले चरण में 10 कॉलेजों के सामने केंद्र खोले जाएंगे। इन केन्द्रों की लागत दो करोड़ रुपए आएगी। दूसरे चरण में इनकी संख्या बढ़ाई जाएंगी।
इन केन्द्रों में महिला पुलिस की तैनाती रहेगी। इनके वेतन का भुगतान नगर सरकार करेगी। यह घोषणा महापौर आलोक शर्मा ने विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह की उपस्थिति में नूतन कॉलेज के पास भूमिपूजन के दौरान की। महापौर ने बताया कि बजट में इसका प्रावधान किया जाएगा।
हालांकि महापौर की यह घोषणा निगम प्रशासन पर भारी पड़ सकती है क्योंकि निगम की वित्तीय हालत पहले से ही खराब है। ऐसे में महिला पुलिस बल का खर्च उठाना निगम को महंगा पड़ेगा। बता दें कि नगर निगम में पहले से ही 22 पुलिस बल की सेवाएं ली जा रही हैं।
जिसमें एक एसआई, 2एएसआई, 4 हेड कांस्टेबल, 15 कांस्टेबल हैं। यानी कुल 22 का बल है। निगम साल भर में इन पर वेतन पर 1 करोड़ 60 लाख से अधिक खर्च करता है। निगम में पुलिस बल इसलिए तैनात किया गया था ताकि अतिक्रमण हटाने संबंधी काम निरंतर चलता रहे। विवाद की स्थिति विपरीत परिस्थितियों से निपटा जा सके। लेकिन निगम प्रशासन पुलिस बल का उपयोग नहीं कर पा रहा है।
मालूम हो कि नगर निगम नालों के अतिक्रमण को हटाने को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से सहयोग की मांग करता आ रहा है। निगम में पुलिस बल होने के बाद भी निगम कार्रवाई नहीं कर पाया। यहां तक कि हाउसिंग फार ऑल में कई प्रोजेक्ट में अतिक्रमण के कारण काम चालू नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में नए पुलिस सहायता केंद्रों में महिला पुलिस की तैनाती का खर्च निगम के लिए मुश्किल होगा। अतिक्रमण के दौरान महिलाओं के विवाद से निपटने के लिए तत्कालीन आयुक्त छवि भारद्वाज द्वारा अतिक्रमण शाखा में 15 महिला बल की नियुक्ति की गई थी,
ताकि निगम अमले पर फर्जी कानूनी कार्रवाई की समस्या न हो। इनमें से 10 अतिक्रमण शाखा और 5 महिला बल बिल्डिंग परमिशन शाखा में तैनात किया गया था। तत्कालीन अतिक्रमण अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ला के कार्यकाल में महिला बल ने कई अतिक्रमण आगे रहकर हटाए भी थे।
भारद्वाज ने महिला बल में बढ़ोतरी कर विपरीत हालत से निपटने के लिए ट्रेनिंग दिलाने की भी तैयारी में थी, लेकिन अब नाम मात्र का महिला बल बचा है।
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