न्यूज़ डेस्क : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसे पूरी दुनिया के लिए संकट का सबब बनी कोरोना वायरस महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। जॉनसन ने कहा है कि चीन में होने वाली विकृत मेडिकल प्रैक्टिस (चिकित्सा अभ्यास) की वजह से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का प्रसार हुआ।
वैश्विक नेताओं के लिए एक संबोधन में जॉनसन ने उन लोगों पर हमला बोला जो अधिक ‘क्षमतावान’ बनने के लिए बड़े पैमाने पर पैंगोलिन्स को पीसते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन ने ये टिप्पणियां फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मेजबानी में हुए ‘वन प्लैनेट सम्मेलन’ में दिए गए अपने भाषण के दौरान कीं।
बता दें कि पैंगोलिन की बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है। पैंगोलिन को वायरस को चमगादड़ों से इंसानों में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। कोविड-19 का पहला मामला चीन के वुहान में सामने आया था। वुहान शहर के पशु बाजार में कई तरह के जानवरों की मौजूदगी को इसका प्रमुख कारण माना जाता है।
‘प्रकृति की सुरक्षा करना जरूरी है’
बोरिस जॉनसन ने अपने संबोधन में कहा, ‘बिलकुल यह सही बात है कि जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जाए, बिलकुल यह सही है कि कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी की जानी चाहिए, लेकिन हम तब तक सही संतुलन नहीं पा सकेंगे जब तक हम प्रकृति की सुरक्षा सुनिश्चित करना नहीं शुरू करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मत भूलिए कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी मनुष्य और प्राकृतिक संसार के बीच असंतुलन का एक परिणाम थी। यह वायरस चमगादड़ या पैंगोलिन से उत्पन्न हुआ, इस विकृत विश्वास के साथ कि अगर आप पैंगोलिन को बड़ी मात्रा में पीसेंगे तो और अधिक क्षमतावान बनेंगे या जो भी लोग मानते हों।’
चीन ने दिया जवाब- अंदाजा न लगाएं
जॉनसन ने कहा कि यह मानवों और प्राकृतिक संसार के बीच टकराव की वजह से उत्पन्न हुआ है और हमें इसे रोकना ही होगा। जॉनसन की इन टिप्पणियों से चीन ने भी नाराजगी जता दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘हम कई बार कह चुके हैं कि वायरस की उत्पत्ति की खोज वैज्ञानिक मामला है।’
लिजियान ने ब्रिटेन को चेतावनी देने के लहजे में कहा, ‘अंदाजा लगाने के लिए, मुद्दे उछालने के लिए यहां कोई जगह नहीं है, कोई स्थान नहीं है। अन्यथा इससे केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रभावित होगा।’ ब्रिटेन और चीन के बीच शुरू हुई यह जुबानी जंग चीन के ब्रिटेन के साथ संबंध अमेरिका की तरह ही खराब कर सकती है।
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