न्यूज़ डेस्क : चीन की सरकार ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के निर्यात पर 80 फीसदी का टैरिफ लगा दिया। माना जा रहा है कि चीन ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस प्रसार की स्वतंत्र जांच करने की मांग की थी। ब्रिटेन समेत 100 देशों ने भी यह मांग उठाई है। चीन के इस कदम से दोनों देशों के राजनयिक संबंध बिगड़ गए हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस संबंध में कहा, ‘कोरोना प्रसार से निपटने में चीन ने पारदर्शी और खुली कार्रवाई की है।’
पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली महामारी कोरोना वायरस आखिर कैसे और किस तरह से इंसानों तक पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और उसकी भूमिका क्या रही है। दुनियाभर के 100 देश ऐसे ही सवालों का जवाब मांग रहे हैं। भारत ने भी आधिकारिक तौर पर इन देशों को अपना समर्थन देते हुए यूरोपीय यूनियन व ऑस्ट्रेलिया की ओर से जांच की मांग वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है।
चीन पर लगते रहे हैं जानकारी छिपाने के आरोप : चीन पर संक्रमण के शुरुआती दिनों की जानकारी छिपाने का आरोप है। खासतौर पर अमेरिका इस मामले में चीन पर उंगली उठाता रहा है। ताजा घटनाक्रम की बात करें तो वहां कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभाने वाले शीर्ष अधिकारी और डॉक्टर झोंग नानशान ने भी खुलासा किया है कि स्थानीय अधिकारियों ने कोरोना से जुड़ी प्राथमिक जानकारी को छिपाया था। हालांकि चीन की सरकार ने जानकारी छिपाने के आरोपों को पहले ही नकार दिया है।
ट्रंप ने दी डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकने की चेतावनी : वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीती रात डब्ल्यूएचओ पर बीजिंग पर पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए उसकी फंडिंग को पूरी तरह से रोक देने की चेतावनी दे डाली। ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ग्रेबियेसस को पत्र लिखकर कहा है कि अगर अगले 30 दिनों में संगठन कोई ठोस कदम नहीं उठाता है तो अमेरिका अपनी फंडिंग स्थायी रूप से रोक देगा। पहले ही फंडिंग को अस्थायी रूप से रोक चुके ट्रंप ने अपनी सदस्यता पर पुनर्विचार करने की भी बात कही।
छिड़ सकता है ग्लोबल ट्रेड वॉर, भारत भी आ सकता है जद में : चीन की इस कार्रवाई से आशंका जन्म ले रही है कि इससे शुरू होने वाले वैश्विक ट्रेड वॉर में चीन कई और देशों को भी घसीट सकता है। वायरस के प्रसार को लेकर चीन पर शुरुआत से ही कई आरोप लगते रहे हैं। इससे निपटने के लिए चीन व्यापार को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। माना जा रहा है कि इस संबंध में यह चीन की पहली कार्रवाई जरूर है पर आखिरी नहीं, इस जद में जांच की मांग करने वाले अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत कई देश आ सकते हैं।
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