रेवाड़ी । लोक आस्था के महापर्व छठ के लिए पूर्वांचल के लोगों में उल्लास का माहौल बना हुआ है। मंगलवार को नहाय-खाय के साथ इस चार दिवसीय पर्व की शुरूआत हो जाएगी, जिसके लिए सोमवार को जगह-जगह अस्थायी घाट तैयार करने के साथ पहले से तैयार घाटों की सफाई की गई। धारूहेड़ा-भिवाड़ी के साथ शहर और बावल में भी पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों में विशेष उत्साह बना हुआ है।
जिले के धारूहेड़ा व बावल के साथ राजस्थान के भिवाड़ी, खुशखेड़ा व नीमराणा में हजारों की संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं। त्योहार को लेकर इन परिवारों द्वारा दीपावली जैसी तैयारी की गई है, जो परिवार अपने गांव नहीं जाते हैं वो यहीं पर छठ पर्व मनाते हैं।
सहयोग करते हैं स्थानीय लोग
जिले में हर साल छठ पर्व मनाने वालें श्रद्धालुओं की संख्या बढती जा रही है। इसके अतिरिक्त शहर के कुछ हिस्सों में भी छठ का पर्व मनाया जाता है। दीपावली के बाद आने वाले छठ पर्व का पिछले चार-पांच सालों में काफी रूझान बढ़ा है। शुरूआत में स्थानीय लोग इस त्योहार के बारे में अनभिज्ञ थे, लेकिन अब यहां के लोग इसमें सहयोग करते हैं।
मंगलवार होगा नहाय खाय
छठ पूजा व्रत चार दिन तक चलता है। मंगलवार को नहाय खाय होगा, जिसके तहत महिलाएं सुबह स्नान करके अरबा चावल, चने की दाल व लौकी की सब्जी खाती हैं। खाने में लहसुन प्याज नहीं होता है और सब्जी भी सेंधा नमक से तैयार की जाती है।
छठ पूजा के लिए बांस या पीतल की सूप, बांस के फट्टे से बने दौरा, डलिया, डगरा, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी, अदरक, नाशपाती, नींबू बड़ा, शहद की डिब्बी, पान, साबूत सुपारी, कैराव, सिंदूर, कपूर, कुमकुम चावल, अक्षत के लिए चन्दन व मिठाई आदि खरीदी जाती है। इसके पहले दिन मंगलवार को नहाने खाने की विधि होती है। घरों में महिलाएं खाना तैयार करती हैं।
25 अक्टूबर को खरना किया जाएगा। खरना में व्यक्ति को पूरे दिन का उपवास रखता है। शाम के समय गन्ने का रस या गुड़ में बने हुए चावल की खीर का प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है। 26 अक्टूबर को अस्ताचलगामी और 27 अक्टूबर उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा।
News Source: jagran.com
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