नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2017-18 में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) तीन गुना से अधिक बढ़कर 48.7 अरब डालर या सकल घरेलू उत्पाद का 1.9 प्रतिशत हो गया है। यह इससे पिछले साल 14.4 अरब डालर या 0.6 प्रतिशत था। चालू खाते का घाटा विदेशी मुद्रा प्राप्ति और भुगतान के बीच अंतर को बताता है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि मार्च तिमाही में चालू खाते का घाटा कई गुना बढ़कर 13 अरब डालर या 1.9 प्रतिशत पहुंच गया। यह एक साल पहले इसी तिमाही में 2.6 अरब डालर या 0.9 प्रतिशत था। दिसंबर तिमाही में घाटा 2.1 प्रतिशत था। चालू खाते का घाटा बाह्य क्षेत्र के नजरिये से अर्थव्यवस्था की मजबूती को प्रतिबिंबित करता है। साथ ही देश के मुद्रा बाजार को प्रभावित करता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि पूरे वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 160 अरब डालर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 112.4 अरब डालर था। सेवा क्षेत्र से प्राप्ति 2017-18 में 77.6 अरब डालर रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 68.3 अरब डालर थी। सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आलोच्य वित्त वर्ष में मामूली रूप से बढ़कर 61 अरब डालर रहा।
वहीं शुद्ध रूप से एफडीआई 35.6 अरब डालर रहा जो एक साल पहले 30.3 अरब डालर था। हालांकि पोर्टफोलियो प्रवाह 2017-18 में उछलकर 22.1 अरब डालर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 7.6 अरब डालर था। शीर्ष बैंक ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में आलोच्य वित्त वर्ष में 43.6 अरब डालर की वृद्धि हुई। वस्तुओं का आयात बढऩे के कारण मार्च तिमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 41.6 अरब डालर रहा।
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