एम्स रैंकः एआईआर -4
पिताः डॉ. पुनीत मित्तल
मांः डॉ. मोनिका मित्तल
टारगेट तय करके करता था पढ़ाई
हर्ष अग्रवाल
एम्स रैंकः एआईआर-5
पिताः डॉ. राजेश अग्रवाल
कोटा में महावीर नगर द्वितीय निवासी हर्ष अग्रवाल ने एम्स में एआईआर-5 प्राप्त की है। इससे पहले नीट में ऑल इंडिया 30वीं रैंक प्राप्त कर चुका है। हर्ष ने बताया कि मेरा शुरु से डॉक्टर बनने का लक्ष्य था और इसीलिए तीन वर्ष पहले एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया था। तीन सालों के दौरान मैंने खुद की नींव को मजबूत किया। तीनों विषयों में महत्वपूर्ण टॉपिक्स का कई बार अध्ययन किया। एलन के टीचर्स ने जैसे-जैसे गाइड किया, मैंने उसे फॉलो करता गया। सबसे महत्वपूर्ण बात कि मैंने कभी भी घंटों बैठकर पढ़ाई नहीं की। रोजाना सिर्फ 4 घंटे सेल्फ स्टडी करता था। रोजाना का टारगेट निर्धारित कर तीनों विषयों को कवर करता था। इसी वर्ष 12वीं कक्षा 94.2 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। एनटीएसई क्वालिफाईड कर चुका हूं। एम्स की तैयारी पूरी तरह से एनसीईआरटी सिलेबस पर बेस्ड रही। मैंने फिजिक्स और कैमेस्ट्री की तैयारी जेईई एडवांस के लेवल पर जाकर की। इसके अलावा एलन के मॉड्यूल्स से भी मदद मिली। मैं एमबीबीएस करने के बाद कार्डिएक या न्यूरो में स्पेशलाइजेशन करना चाहता हूं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मेरे आदर्श हैं।
ज्यादा से ज्यादा रिवीजन पर जोर दिया
एम्स 2019
अरणांग्शु भट्टाचार्य
एम्स रैंक – 06
पिताः समरजीत भट्टाचार्य (इलेक्ट्रिकल इंजीनियर)
मांः अपराजिता भट्टाचार्य (कैमिकल इंजीनियर)
जिपमेर में ऑल इंडिया टॉप तथा नीट 2019 में ऑल इंडिया 19वीं रैंक प्राप्त कर चुके एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के क्लासरूम स्टूडेंट अरूणांग्शु भट्टाचार्य ने एम्स-2019 में आल इंडिया रैंक 06 प्राप्त की है। गुजरात के सूरत निवासी अरूणांग्शु ने बताया कि जिपमेर व नीट क्रेक करने के लिए मैंने ज्यादा से ज्यादा रिवीजन पर जोर दिया, जो रोजाना क्लास में पढ़ाया जाता, उसे उसी दिन रिवाइज करता। जिस तरह बॉयोलॉजी के टॉपिक्स हैं तो मेरा प्रयास रहता था कि सप्ताह में कम से कम एक बार एक चैप्टर को रिवाइज जरूर कर लूं। फिजिक्स मुझे आसान लगती है, पढ़ने में मजा भी आता है। रेगुलर क्लास के समय मैं 5 से 6 घ्ांटे सेल्फ स्टडी करता था जबकि अन्य दिनों 10 से 12 घंटे पढ़ता था। सात घंटे की नींद लेता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि पढ़ाई से पहले नींद पूरी होना जरूरी है। मम्मी-पापा दोनों इंजीनियर हैं लेकिन, मेरी रूचि शुरू से बॉयोलॉजी में थी। एमबीबीएस के बाद न्यूरो या कार्डियो में स्पेशलाइजेशन करना चाहता हूं। पिछले पांच से एलन में अध्ययनरत हूं, इसी वर्ष 12वीं कक्षा 94.8 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है। एनटीएसई क्वालिफाइड हूं और कक्षा 11वीं में केवीपीवाय में ऑल इंडिया 26वीं रैंक प्राप्त कर चुका हूं। इंटरनेशनल बॉयो ओलंपियाड (आईबीओ) के फाइनलिस्ट में चयन हो चुका है।
खुद पर विश्वास था और मैंने कर दिखाया
राघव दुबे, मध्यप्रदेश
एम्स रैंकः एआईआर-8
पिताः हर्षित दुबे (व्यापारी)
मांः रश्मि दुबे (गृहिणी)
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के छात्र मध्यप्रदेश के होशंगाबाद निवासी एम्स में एआईआर-8 प्राप्त की तथा राघव दुबे ने नीट में 10वीं रैंक प्राप्त की है। राघव ने बताया कि डॉक्टर बनने का लक्ष्य लेकर कोटा आया था। मुझे खुद पर विश्वास था कि मैं कर सकता हूं और मैं उत्साह के साथ तैयारी में जुट गया। कोटा में रहकर बोर्ड परीक्षा और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी बैलेन्स बनाकर की। कंसेप्ट शुरुआत से क्लीयर थे इसलिए एम्स की तैयारी के दौरान ज्यादा परेशानी नहीं आई। मैंने कभी भी रैंक को लक्ष्य मानकर पढ़ाई नहीं की। लेकिन अच्छे परिणाम की उम्मीद थी। इसी वर्ष 12वीं कक्षा 88.8 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है। कोटा में एलन की पढ़ाई का कोई मुकाबला नहीं है। राघव ने बताया कि रोजाना क्लासरूम स्टडी के अलावा 7 से 8 घंटे एवरेज स्टडी करता था। किसी डिफिकल्ट क्वेशचन को ग्रुप डिस्कशन करता था। क्लासरूम में जो पढ़ाया जाता, उसे रोजाना रिवाइज करता था। सबसे महत्वपूर्ण था कि होमवर्क कम्पलीट करना। एमबीबीएस के बाद कॉर्डियोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करना चाहता हूं।
स्तुति शीतल खाण्डवाला
एम्स रैंकः एआईआर-8
पिताः डॉ. शीतल खाण्डवाला
मांः डॉ. हेतल खाण्डवाला
स्टूडेंट स्तुति ने एम्स प्रवेश परीक्षा 2019 में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की है। स्तुति ने बताया कि इन सभी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए उसे ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ा। क्योंकि मेडिकल, इंजीनियरिंग एंट्रेन्स व बोर्ड के काफी टॉपिक्स कॉमन होते हैं। टेक्सट बुक्स से पढ़ाई की और उनका ज्यादा से ज्यादा रिवीजन किया। एलन की फैकल्टीज ने जैसा गाइड किया, उसे फॉलो करती गई। रेगुलर टेस्ट देने से परफॉर्मेन्स में सुधार आता चला गया। रेगुलर क्लासरूम व सेल्फ स्टडी को मिलाकर करीब 12 से 13 घंटे पढ़ाई करती थी। चारों विषयों (पीसीएमबी) को बराबर समय देती थी। कोई भी चैप्टर पढती थी तो उसका समय पर रिवीजन करती थी। डाउट होने पर तुरंत फैकल्टी से पूछकर उसे क्लीयर करती थी। क्योंकि किसी भी डाउट को नजरअंदाज कर आप आगे नहीं बढ़ सकते। वो डाउट आगे जाकर आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है और उसका असर आपके रिजल्ट पर होता है। स्टूडेंट्स के मन में अक्सर यह बात आती है कि छोटा डाउट है, बार-बार पूछेंगे तो फैकल्टी अैर अन्य स्टूडेंट्स कहेंगे कि क्या छोटा-सा सवाल पूछ रहा है लेकिन, ऐसा नहीं सोचना चाहिए और अपने हर डाउट्स को क्लियर करते रहना चाहिए। पिछले सालों के प्रश्न पत्रों को सॉल्व किया। इससे मुझे एग्जाम पैटर्न समझने व तैयारी करने में मदद मिली। मुझे भरतनाट्यम नृत्य काफी पसंद है और पिछले सात साल से इसका अभ्यास कर रही हूं।
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