18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं को वैक्सीन लगाने की मांग को केंद्र सरकार ने किया ख़ारिज

न्यूज़ डेस्क : कोविड-19 के मामलों में तेज वृद्धि के कारण देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं को भी वैक्सीन लगाने की मांग उठी है। इसे लेकर सरकार ने मंगलवार को स्थिति स्पष्ट की। सरकार की ओर से कहा गया कि टीकाकरण का लक्ष्य सबसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों को सुरक्षित करना है। 

 

 

 

आईएमए ने पीएम मोदी को लिखा है पत्र

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुझाव दिया कि 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को टीका लेने की अनुमति देनी चाहिए।

 

 

केजरीवाल व ठाकरे ने भी किया अनुरोध

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी टीकाकरण के लिए उम्र सीमा में ढील देने का अनुरोध किया है।

 

 

पश्चिमी देशों में भी चरणबद्ध हो रहा टीकाकरण : राजेश भूषण

इसे लेकर मंगलवार को साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कई लोग पूछ रहे हैं कि सरकार 18 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए टीकाकरण क्यों नहीं शुरू कर रही है? जवाब में उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में भी चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण अभियान चलाया गया है।

 

 

 

स्वास्थ्य सचिव ने बताया टीकाकरण का लक्ष्य

भूषण ने कहा कि बुनियादी लक्ष्य टीकाकरण के जरिए मृत्यु को घटाना है। दूसरा लक्ष्य हमारे स्वास्थ्य तंत्र की सुरक्षा करना है। अगर स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल कर्मी और अन्य कर्मी बीमार हो गए तो अस्पतालों में कौन काम करेगा? इसलिए किसी भी देश में सबसे मुख्य लक्ष्य सबसे जोखिम वालों को सुरक्षित करना है। टीका जो लेना चाहते हैं उनके टीकाकरण का नहीं, बल्कि जिन्हें ज्यादा जरूरत है उन्हें टीका देने का लक्ष्य है।

 

 

टीकाकरण से हर्ड इम्यूनिटी का दावा प्रमाणित नहीं : डॉ. पॉल

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने कहा कि विमर्श को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीके पर अनुसंधान से अब तक यह साबित नहीं हुआ है कि अगर इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण हो तो ‘हर्ड इम्युनिटी’ विकसित हो जाएगी। पॉल ने कहा कि अब तक यह प्रमाणित नहीं हुआ है। पॉल ने कहा कि प्राथमिकता समूह में फैसला किया गया कि मृत्यु के लिहाज से किन्हें ज्यादा जोखिम है। ऐसा इसलिए कि इतिहास केवल इतना याद रखेगा कि कितनी मौतें हुईं।

 

 

 

बता दें, देश में पहले चरण में  फ्रंट लाइन वर्करों को टीके लगाए गए थे। इसके बाद 60 साल से अधिक उम्र के लोगों व गंभीर बीमारों को टीके लगाए गए। एक अप्रैल से 45 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना रोधी टीके लगाए जा रहे हैं। 

 

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