केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों और विभागों के खर्च पर लगाई पाबंदी, 1.13 करोड़ (कर्मी-पेंशनर) लोगों पर पड़ेगा असर
न्यूज़ डेस्क : वेतन में बच्चों की पढ़ाई का भत्ता मिलता रहेगा। चिकित्सा भत्ता केवल आपातकालीन स्थिति में ही प्रदान किया जाएगा। बता दें कि सबसे पहले केंद्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी तक की कटौती की गई थी।
कोरोना वायरस की लड़ाई का असर अब केंद्र सरकार के कर्मियों पर भी देखने को मिल रहा है। केंद्र ने अपने सभी मंत्रालयों और विभागों में होने वाले कई तरह के सरकारी खर्च पर पाबंदी लगा दी है। इसका असर 1.13 करोड़ (कर्मी-पेंशनर) लोगों पर पड़ेगा।
पहली तिमाही में वेतन तो मिलेगा, लेकिन एलटीए, पदोन्नति की बकाया राशि्, अग्रिम भुगतान, छुट्टियों का भुगतान एवं दूसरे भत्ते आदि पर रोक रहेगी। कार्यालय का खर्च, मसलन खाना-पीना, पार्टी का आयोजन और सामान खरीदना जैसी गतिविधियों के लिए भी बजट नहीं मिलेगा।
सामान्य काल में पास होने वाले कई बिलों पर रोक लगाई जा रही है। जिस मद से वेतन मिलता है, उसमें खर्च की सीमा 30 से घटाकर 20 फीसदी कर दी गई है। मंत्रालय या विभाग के कुल बजट में नॉन सेलरी हेड के खर्च पर भी पाबंदी लगी है।
इसके तहत अब खरीददारी की सीमा 10 फीसदी निर्धारित कर दी गई है। फिलहाल ये पाबंदियां वित्त वर्ष की पहली तिमाही ‘अप्रैल से जून’ में लागू रहेंगी। हालांकि सभी केंद्रीय कर्मियों का महंगाई भत्ता और पेंशनरों की महंगाई राहत पर जुलाई 2021 तक रोक दी गई है।
कोरोना वायरस के लॉकडाउन में यह पहली बार हो रहा है जब केंद्र सरकार ने अपने अधिकांश खर्च में कटौती या पाबंदी लगाने की घोषणा की है। केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, यदि किसी विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिए कोई नियुक्ति हुई है, तो उन्हें सेलरी मिलेगी। इसमें केजुअल कर्मचारी भी शामिल है।
नॉन हेड सेलरी में ओटीए, एफटीई, विभाग के छोटे काम और आईटी से जुड़े किसी भी काम के लिए कुछ खर्च करना है, तो उसके लिए मुख्यालय से इजाजत लेनी पड़ेगी। पहली तिमाही के दौरान कोई भी पुराना बिल पास नहीं होगा। साथ ही नए बिलों पर भी रोक रहेगी। घरेलू यात्रा खर्च आदि पर भी पाबंदी लगाई गई है।
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