नई दिल्ली। फरार चल रहे ढोंगी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर शिकंजा कसता जा रहा है। बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने बाबा वीरेंद्र देव के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। फिलहाल ढोंगी बाबा का अबतक कोई पता नहीं चल सका है। दिल्ली के रोहिणी स्थित बाबा वीरेंद्र देव के आश्रम से दिसंबर महीने में कई लड़कियों को छुड़ाया गया था, जिन्हें कई दिनों तक बंधक बनाकर कैद में रखा रखा गया था।
आश्रमों पर छापेमारी
दिल्ली पुलिस ने एक युवती की शिकायत पर दुष्कर्म का केस दर्ज किया था। पीड़िता ने कहा था कि बाबा ने साल 2000 में उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। युवती ने यह भी आरोप लगाया था कि आश्रम में रहने वाली तमाम लड़कियों के साथ इस तरह की वारदातों को अंजाम दिया जाता है। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आश्रमों पर छापेमारी के बाद लगभग 50 नाबालिग और करीब 200 महिलाओं को मुक्त कराया है। इसके बाद पुलिस ने बाबा के देशभर में स्थित कई आश्रमों पर छापेमारी की थी।
इतनी संख्या में महिलाएं कहां से आती हैं
वीरेंद्र देव के बारे में खुलासा होने के बाद यह बात भी सामने आई थी कि आखिर आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आश्रमों में इतनी संख्या में महिलाएं कहां से आती हैं। यह सवाल रहस्य बना हुआ था और जवाब उस वक्त मिला इस तरह के आंकड़े सामने आए थे।
गायब युवतियों का नहीं मिलता सुराग
एक आरटीआइ के जवाब में उत्तर पूर्वी जिला पुलिस की तरफ से जो आंकड़े दिए गए वो चौंकाने वाले थे। आकड़ों के मुताबिक जिले में हर साल सैकड़ों की संख्या में युवतियां गायब होती हैं। इनमें कुछ ही पुलिस को मिल पाती हैं। बाकी का अता-पता नहीं चलता। संभव है कि जिन युवतियों का कोई सुराग नहीं मिला है उनमें से कुछ वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे कथित बाबाओं के चंगुल में फंस गई हों। फिलहाल इस बारे में कोई पुख्ता तौर से कुछ भी कहने में समर्थ नहीं है।
क्या कहते हैं आंकड़े
रोहिणी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजहंस बंसल ने इस साल जुलाई में दिल्ली पुलिस के सभी जिलों से आरटीआइ अर्जी लगाकर 2010 से जून तक लापता हुई बालिग लड़कियों का विवरण मांगा था। इसके साथ यह भी जानकारी मांगी थी कि लापता लड़कियों में अब तक कितनों के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। कुछ जिलों ने इसका जवाब नहीं दिया। वहीं कुछ ने आधे-अधूरे आंकड़े दिए। लेकिन उत्तर पूर्वी जिले ने 2010 से 15 जून 2017 तक पूरा आंकड़ा दिया।
आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब साढ़े सात में 5800 से अधिक युवतियां लापता हुईं। इसमें से करीब 3500 युवतियों का ही पता चल पाया। 2319 ऐसी युवतियां रहीं, जिनका कोई पता नहीं चला है। इन आंकड़ों में यह भी चौंकाने वाली बात है कि हर साल लापता हो रही युवतियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
अभिभावकों के बारे में सही जानकारी नहीं
वीरेंद्र देव दीक्षित के विश्वविद्यालय और आश्रमों में कई ऐसी युवतियां मिली हैं जिनके माता-पिता की जानकारी विश्वविद्यालय के पास तक नहीं है। दिल्ली महिला आयोग की टीम को भी छापेमारी में कई ऐसी बालिग और नाबालिग लड़कियां मिली हैं जो अपने अभिभावकों के बारे में सही जानकारी नहीं दे सकी हैं।
News Source :- www.jagran.com
Comments are closed.