ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को विनियमित करने के लिए केंद्र ने जारी किया दिशा-निर्देश

न्यूज़ डेस्क : मंत्रालय ने बताया कि संशोधन से पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था। इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस, ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर का वेलफेयर भी सुनिश्चित करना होता है।

 

 

पहली बार, भारत में ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को विनियमित (रेग्यूलेट) करने के लिए केंद्र ने दिशा-निर्देश दिए हैं। इस कदम से पारिस्थितिक तंत्र (इको सिस्टम) को बहुत राहत मिली है, जो इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली नीति की अनुपस्थिति से जूझ रहा था। 

 

 

सरकार ने मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देशों के माध्यम से एग्रीगेटर के अर्थ को परिभाषित किया है। इसके मुताबिक एग्रीगेटर का अर्थ है – यात्रियों को परिवहन की मंशा के लिए ड्राइवर के साथ जुड़ने के लिए डिजिटल मध्यस्थ या मार्केटप्लेस। 

 

 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 जारी किया। इनका लक्ष्य शेयर्ड मोबिलिटी को रेगुलेट करने के साथ ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करना है। इसके अलावा एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल किया गया है। इसके लिए मोटर व्हीकल 1988 को मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है। 

 

 

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा, “यह दिशा-निर्देश परिचालन के क्षेत्र में परिवहन वाहनों को ऑनबोर्डिंग करने वाले एग्रीगेटर पर लागू हो सकते हैं। एक्ट के तहत एग्रीगेटर द्वारा एकीकृत किए जाने वाले वाहनों में सभी मोटर व्हीकल्स और ई-रिक्शा शामिल होंगे।”

 

 

लाइसेंस पांच साल के लिए मान्य होगा, जिसके बाद लाइसेंस के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होगी।

 

मंत्रालय ने बताया कि संशोधन से पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था। इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस, ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर का वेलफेयर भी सुनिश्चित करना होता है। 

 

एग्रीगेटर की जवाबदेही तय

सरकार के इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि एग्रीगेटर द्वारा कारोबारी संचालन की मंजूरी के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया लाइसेंस अनिवार्य है।  एग्रीगेटर को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश का राज्य सरकारों को पालन करना होगा। लाइसेंस की जरूरतों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए, एक्ट के सेक्शन 93 के तहत जुर्माने का प्रावधान है। गाइडलाइंस का उद्देश्य एग्रीगेटर्स के लिए राज्य सरकारों द्वारा एक रेगुलेटरी व्यवस्था बनाना है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि एग्रीगेटर जवाबदेह हैं और उनके द्वारा किए जा रहे संचालन के लिए जिम्मेदार हैं।

 

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