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विचार

Navratri 2017, नौंवा दिन: आज करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, हर काम होंगे सिद्ध

नई दिल्‍ली: नवरात्रि की देश भर में धूम मची हुई है. आज नवरात्र का नौवा दिन है. आज मां के नौवें स्‍वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की दाती हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं. नवरात्रि के…
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कभी भी किसी की सहायता को न भूलें l

नेपोलियन बोनापार्ट बचपन में बहुत गरीब थे l उनकी पड़ोस मे एक महिला रहती थी जो उनको बचपन मे खाना और कपडा दिया करती थी l आगे चल कर नेपोलियन फ्रांस के सम्राट बने l एक दिन वो अपने पुराने घर पहुचें l तभी उनकी निगाह एक वृद्ध महिला पर गई और वो उसको…
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कर्म के बल पर हर मुश्किल से निकल सकते हैं बाहर l

कर्म के बल पर ही हम हर मुश्किल से बाहर निकल सकते हैं, जो हमें अपनी जंजीरों से जकड़ लेती है। कर्म के सहारे ही हम ऊंचाइयों के उस मुकाम पर पहुंच सकते हैं, जिसकी हमने कामना की है। हमारे कर्म ही हमारे भाग्य को परिवर्तित करते हैं और हमें हमारे…
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अपने को अंदर से बदलो :- स्वामी विवेकानंद

तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते होए तुम सुन्दर अपनी चमड़ी बदलवा सकते होए तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगेए वासना से भरे रहोगेए हिंसाए क्रोधए इष्यए शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन…
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आडम्बर

एक दिन मैं मंदिर गया था। पूजा हो रही थी। , मूर्तियों के सामने लोग सिर झुकाए जा रहे थे। एक वृद्ध साथ थे, वे बोले, 'धर्म में लोगों को अब श्रद्धा नहीं रही। मंदिर में भी कम ही लोग दिखाई पड़ते हैं।' मैंने कहा, 'मंदिर में धर्म कहां है?' मनुष्य भी…
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भिक्षुक ने जिन्दगी सुधार दी।

एक भिक्षुक था। एक बार वह भिक्षा मांगने एक द्वार पर पहुंचा। रूखा जवाब मिलने पर भी वह नाराज नहीं हुआ, बल्कि आगे चला गया। एक थानेदार ने उस भिक्षुक को देखा और उसे उस भिक्षुक पर तरस आ गया। उसने भिक्षुक की रोटी देने के लिए अपने पास बुलाया। पर…
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कलम रचनात्मकता तो तलवार शक्ति की प्रतीक है:- नेपोलियन

नेपोलियन के शब्दों को समझा जाएं, तो तलवार शक्ति की प्रतीक है एवं कलम ,रचनात्मकता की प्रतीक है। एक ताकत है  डराने की, रुलाने की, तोड़ने की व दूसरी ; रचना की ताकत है, प्रेम की, हंसाने की एवं जोड़ने की। तलवार सदैव कलम से पराजित होती रही है।…
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सच्ची सफलता क्या होती है ?

हम जुनून में अर्श और फर्श एक करने से भी नहीं चूकते। नाकामी तो हमें मंजूर ही नहीं रही। कभी तो वह जुनून में ऐसे गलत रास्ते पर भी कदम रख देता है कि जो हमने चाहा, वह सच क्यों नहीं हुआ? इस तरह मिली सफलता दूरगामी नहीं होती। कहते है, सच्ची सफलता…
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आचार्य रजनीश ओशो

राम को शरीर छोड़े कितने दिन हो गए, या क्राइस्ट को देह त्यागे कितने दिन हो गए? दूसरा क्राइस्ट क्यों नहीं बन पाता। हजारों इसाई कोशिश में । तो चौबीस घंटे लगे हैं कि हिंदू राम बनने की कोशिश में बनने की कोशिश में लगे हैं, , बनते क्यों नहीं एकाध?…
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आचार्य विद्यासागर जी

हमारी हालत उस कबूतर की तरह हो रही है, जो पेड़ पर बैठा है और पेड़ के नीचे बैठी बिल्ली को देखकर अपना होश-हवास खो देता है, अपने पंखों की शक्ति को भूल बैठता है और स्वयं घबराकर उस बिल्ली के समक्ष गिर जाता है, तो उसमें दोष कबूतर का ही है। ज्ञान…
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