Browsing Category
धर्म
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - आध्यात्मिक अंतस का निर्माण होते ही आनन्द-स्फूर्ति, आह्लाद, ऊर्जा, आत्म-सन्तोष और सहजता का अनुभव होने लगेगा, अतः स्वयं की ओर बढ़ें...! अध्यात्म का मानव जीवन में विशेष स्थान है। इसके बिना मानव…
Read More...
Read More...
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - मन-वचन-कर्म में एकता, भाव-शुचिता, सत-कर्म प्रीति और समर्पण ही साधना का सार है...! विशुद्ध ब्रह्मलोक उन्हें प्राप्त होता है जिनके अन्तःकरण में असत्य, छल, कपट और कुटिलता…
Read More...
Read More...
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य "सदगुरुदेव" जी ने कहा - भगवान के माधुर्य भाव को अभिव्यक्ति करने वाला, उनके दिव्य माधुर्य रस का आस्वादन कराने वाला सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ श्रीमद्भागवत ही है। श्रीमद् भागवत कथा ईश्वर का साकार रूप है। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म…
Read More...
Read More...
‘नागा साधुओं’ के बारे में 15 ग़ज़ब रोचक तथ्य,
कौन है नागा साधु ? कैसे बनते है नागा साधु ? भारत में कुल 13 ऐसे अखाड़े है जहाँ सन्यासियों को नागा साधु बनाया जाता है. ये हिमालय में जीरो से भी नीचे तापमान पर जीवित रह लेते है. आम आदमी के पास नागा साधुओं के बारे में कोई खास जानकारी नही होती…
Read More...
Read More...
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - भूल जाएं, और क्षमा करें, इसी में परम शांति है। इसीसे आपका जीवन दिव्य बनेगा। मानवता का मोती है - क्षमा। क्षमा, मानवता और जीवन की महत्ता को समर्पित एक अप्रतिम अनुष्ठान है। क्षमा के बिना चित्त को विरल शान्ति कभी…
Read More...
Read More...
पूज्य सद्गुरुदेव अवधेशानंद जी महाराज आशिषवचनम्
पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
???? पूज्य "सद्गुरुदेव" जी ने कहा - प्रकृति अन्न-जल, वन-औषधि, प्राण-पवन, आकाश-प्रकाश, अंतरिक्ष एवं समग्र दिशाओं से प्रत्येक प्राणी के जीवन की आधारभूत सत्ता है। अतः स्वाभाविक रहें...! मनुष्य का…
Read More...
Read More...