देहरादून : परिवहन विभाग भी अब डिजिटल इंडिया की राह पर चलता नजर आ रहा है। इसके तहत अब सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों में कैशलेस सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए हर कार्यालय में अब प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें लगाई जाएंगी। मकसद यह कि इससे उपभोक्ता ई-लेन देन के लिए प्रेरित हों। साथ ही नकद पैसा कार्यालयों में रखने और फिर इसे ट्रेजरी में जमा कराने आदि समस्या से निजात मिल सके।
परिवहन विभाग में इस समय अधिकांश कार्य के लिए नकद पैसे ही जमा किए जाते हैं। प्रदेश में ई-लेन देन को बढ़ावा देने की सरकार की नीति के अनुसार अब विभाग खुद को भी ढालने का प्रयास कर रहा है। अभी वाहन सॉफ्टवेयर में भी ऑनलाइन टैक्स जमा करने की व्यवस्था है। बावजूद इसके अभी तक अधिकांश उपभोक्ता ई-लेन देने की बजाय नकद टैक्स जमा कराने को तरजीह दे रहे हैं।
अभी स्थिति यह है उप संभागीय परिवहन कार्यालयों में प्रतिदिन पांच से छह लाख रुपये जमा हो जाता है। वहीं बड़े कार्यालयों में जमा होने वाले टैक्स की रकम इससे कई गुना अधिक है। विभाग में नकद रकम रखने से न केवल इसकी सुरक्षा का चिंता रहती है बल्कि कोषागार भेजने से पहले भी इसे फिर से गिनना होता है। यह विभागीय कार्मिकों के लिए अतिरिक्त कार्य हो जाता है। कई बार टैक्स जमा करते हुए नकली नोट भी आ जाते हैं।
इसकी भरपाई भी विभागीय कर्मियों को अपनी जेब से करनी पड़ती है। इसके अलावा टैक्स जमा करते हुए कई बार परिवहन कर्मियों पर तय से अधिक पैसे लेने के आरोप भी लगते हैं। संभागीय कार्यालयों में भीड़ के कारण कई बार उपभोक्ता दलालों के फेर में भी पड़ जाते हैं। इससे देखते हुए परिवहन ने अब सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों में पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए कैशलेस व्यवस्था शुरू करने का निर्णय लिया है।
इसके लिए परिवहन विभाग की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से बात हो चुकी है। पीओएस मशीनें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) ही उपलब्ध कराया जाएगा। अब एसबीआइ को एनआइसी से मिलकर सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव करना है। इसके बाद यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
मकसद यह कि एक बार यदि उपभोक्ता पीओएस मशीन का प्रयोग करेंगे तो वे ई-लेन देने से जुड़ेंगे और निकट भविष्य में वे घर बैठे ही टैक्स जमा कर सकें।
अपर परिवहन आयुक्त सुनीता सिंह का कहना है कि अभी एसबीआइ और एनआइसी के बीच इस संबंध में बैठक चल रही है। सारी प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत यह योजना शुरू कर दी जाएगी।
News Source: jagran.com
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