Case Study–एजुकेशन लोन पढ़ाई को देता है रफ्तार, लेकिन जिंदगी पर लगा रहा ब्रेक।

केस-1
प्रशांत ने एयर क्राफ्ट मैंटेनेंस इंजीनियरिंग (एएमई) करने के लिए बैंक से लोन लिया। उनकी पढ़ाई पूरी हुए ही 5 साल से अधिक समय हो गया और बैंक की किश्त शुरू हो गई। अभी तक जॉब नहीं लगने की वजह से वह काफी परेशान है।
केस-2
हर्षिता ने मेडिकल की पढ़ाई के लिए बैंक लोन करवाया था, दो साल के बाद ही उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी। अब वे नए सिरे से पढ़ाई शुरू करने वाली है। ऐसे में उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि बैंक द्वारा लिया गया लोन किस समय से ओर किस अवधि में चुकाना होगा।

एजुकेशन लोन को भले ही पढ़ाई को रफ्तार देने का एक जरिया कहा जाता हो लेकिन यह जरिया कहीं न कहीं स्टूडेंट के भविष्य के लिए बाधा भी बन जाता है। सरकार की ओर से दी जाने वाली एजुकेशन लोन की मदद भले ही तुरंत के लिए लिए बेहतर लगती होलेकिन कुछ सालों बाद उसके ब्याज के नीचे स्टूडेंट अपनी जरुरत की चीजें भी छोडऩे पर मजबूर हो जाता है। हाल ही में आए एक सर्वे से पता चलता है कि जिन स्टूडेंट ने पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लिया था, उनकी घर और कार जैसी जरुरत को पूरी करने की क्षमता उन स्टूडेंट से कम थी, जिन्होंने एजुकेशन लोन न लेकर पढ़ाई की थी। एजुकेशन लोन पर युवाओं की स्थिति पर एक रिपोर्ट-
हाल ही में एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उच्च शिक्षा ऋण की धनराशि 35 लाख डॉलर तक पहुंच गई है। एक ओर जहां एजुकेशन लोन लेने वाले स्टूडेंट की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं घर खरीदने, शादी करने व बच्चे पैदा करने की दर दिन-ब-दिन घटती जा रही है। एक्सपर्ट की मानें तो एजुकेशन लोन के बोझ से दबे होने के कारण स्टूडेंट अपने भविष्य के बारे में सोच ही नहीं पा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक आज के समय में केवल ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने से नौकरी मिलने की संभावना बिल्कुल खत्म हो गई है। प्रोफेशनल कोर्स के बिना किसी भी स्टूडेंट को अब नौकरी नहीं मिलती और इन कोर्स को करने के लिए काफी रकम की जरुरत होती है। प्रोफेशनल कोर्स करवाने वाले संस्थानों की मोटी फीस भरना हर किसी के बस की बात नहीं होती। भारत में आईआईटी जैसे सरकारी संस्थानों से इंजीनियरिंग करने के लिए पांच लाख रुपए लगते हैं और अगर आप प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग करने की सोच रहे हैं ता यह रकम दोगुनी या फिर तिगुनी तक हो सकती है। वहीं अगर आप एमबीबीएस की पढ़ाई में सोच रहे हैं तो 20 से 25 लाख रुपए की जरुरत तो आम है।
कोई भी संस्थान नहीं देता जॉब ग्यारंटी
ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी का कहना है कोई भी संस्थान जॉब की ग्यारंटी नहीं दे सकता। किस साल कितनी कंपनी, कितने स्टूडेंट को जॉब दें ये किसी को पता नहीं होगा। यूनिवर्सिटी के कई विभागों में 50 फीसदी स्टूडेंट को भी जॉब नहीं मिल पाती। ऐसे में समझ सकते हैं कि 50 फीसदी में अगर पांच फीसदी ने भी एजुकेशन लोन लिया है तो वे परेशानी में आएंगे। इनके लिए ब्याज छूट तो दूर की बात है मूलधन की व्यवस्था करना भी भारी पड़ता है।
अनदेखा न करें लोन की ईएमआई
अगर किसी कारण से स्टूडेंट लोन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है तो उसे लोन की ईएमआई को अनदेखा नहीं करना चाहिए। उन स्टूडेंट को बैंक से बात करनी चाहिए। बैंक हमेशा बातचीत करने को तैयार रहते हैं। ऐसे स्टूडेंट बैं से बात कर लोन चुकाने की अवधि को बढ़ाने की गुहार लगा सकते हैं। बैंक अक्सर लोन की अवधि बढ़ाकर ईएमआई की राशि को कम कर देते हैं। इससे स्टूडेंट पर पडऩे वाला बोझ कुछ हद तक कम हो सकता है। बैंक के अधिकारी के मुताबिक बैंकों ने सरकार के निर्देश पर स्टूडेंट को जमकर एजुकेशन लोन बांटे। लेकिन अब लोन वापस नहीं मिलने पर बैंकों पर भी बैड लोन का बोझ बढ़ता जा रहा है। अब बैंकों को समझ नहीं आ रहा कि एजुकेशन लोन के तहत दी गई राशि की वसूली वो कैसे करें।
लंबी टैक्स अवधि तो लगेगा इनकम टैक्स
सरकार एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई करने वालों को इनकम टैक्स में छूट देती है। लेकिन लोन भुगतान की अवधि आठ साल तक होनी चाहिए। जो स्टूडेंट 10 लाख रुपए के लोन के भुगतान के लिए 12 साल की अवधि चुनते हैं उन्हें टैक्स में छूट नहीं मिलती, बल्कि उन्हें 1.5 लाख रुपए इनकम टैक्स भरना पड़ता है। ऐसे में लोन जितना ज्यादा होगा और उसे लौटाने की अवधि जितनी लंबी होगी उतना ही नौकरी पेशा लोगों पर इनकम टैक्स का बोझ भी बढ़ेगा

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