‘आप’ विधायकों की अयोग्यता का मामला : दिल्ली हाई कोर्ट में आज होगी सुनवाई

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप)के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के मामले में सुनवाई करेगा.

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद पर होने के आरोप में चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को अयोग्य घोषित किया था जिस पर राष्ट्रपति ने तुरंत मोहर लगा दी थी. कानून मंत्रालय ने 20 जनवरी को विधायकों के अयोग्य होने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया था.

इस मामले में बाद में आप के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की जिसके तहत उनको अयोग्य घोषित किया गया. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस विभु बाखरू सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेंगे.

क्या हुआ था पिछली सुनवाई में?
बुधवार को दिल्ली हाइकोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि हम इस मामले की सुनवाई सोमवार से करेंगे तब तक आप इन 20 सीटों पर चुनाव की घोषणा न करें. चुनाव आयोग ने कहा कि केवल तीन दिन बचे  हैं ऐसे में हमें नही लगता कोई कार्रवाई होगी. हालांकि हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के अयोग्य करार देने वाले नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार किया जिससे विधायकों की अयोग्यता बरकरार है. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

क्या हैं AAP विधायकों की दलीलें?
दिल्ली हाई कोर्ट में आम आदमी पार्टी के अयोग्य विधायकों की तरफ से कहा गया कि

1. चुनाव आयोग ने हमें पहले नहीं बताया कि वह फैसला करने जा रहा है. न्यूज़ पेपर से हमें पता चला कि चुनाव आयोग फैसला कर रहा है.

2. चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कभी हमें नहीं सुना, न ही वे तस्वीर में थे, लेकिन आर्डर में उनका भी नाम है.

3. चुनाव आयोग के एक सदस्य (ओपी रावत, जो अब मुख्य चुनाव आयुक्त हैं) ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था जबकि दूसरे ने कभी सुनवाई ही नहीं की.

4. 18 मार्च 2016 को नोटिस हमें मिला जिसका जवाब हमने दिया.

कितने विधायकों ने की है अपील?
वैसे तो आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य घोषित हुए हैं लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में अभी तक केवल 8 विधायकों ने ही नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. इन 8 विधायकों ने अपनी याचिका अलग-अलग दाखिल की है. जैसे कैलाश गहलोत, मदन लाल, सरिता सिंह, शरद चौहान और नितिन त्यागी ने एक याचिका दायर की जबकि राजेश ऋषि और सोमदत्त ने अलग अपील की. अल्का लांबा ने अपनी याचिका अकेले दाखिल की.

क्या है आप विधायकों की रणनीति?
आप विधायकों ने जानबूझकर अपनी याचिका अलग-अलग या समूह में दाखिल की. सूत्रों के मुताबिक कानून के जानकारों ने आप विधायकों को सलाह दी है कि क्योंकि सब विधायकों का मामला बिल्कुल एक जैसा नहीं है इसलिए सब एक साथ याचिका दाखिल न करें. किसी विधायक का केस बिल्कुल साफ है तो किसी विधायक के केस में कुछ समस्या हो सकती है. इस पर कोर्ट केस दर केस फैसला करे न कि सबको एक ही तराजू में तौल दे. किसी केस में राहत मिलने से सबको राहत मिलने की उम्मीद होगी लेकिन किसी केस में नकारात्मक नतीजा आया तो उम्मीद फिर भी बनी रहेगी.

कैसे 20 विधायकों का मामला एक होकर एक जैसा नहीं?
चुनाव आयोग को दिल्ली सरकार की तरफ़ से जो आधिकारिक जानकारी दी गई उसके मुताबिक अलका लांबा को कश्मीरी गेट पर दो दफ्तर मिले, PWD विभाग ने रेनोवेशन कराया लेकिन नितिन त्यागी, मदन लाल और प्रवीण कुमार ने कोई एक्स्ट्रा दफ़्तर नहीं लिया. संजीव झा ने परिवहन मंत्रालय में एम्प्लॉई पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर बैठक की अध्यक्षता की और फैसले लिए. अनिल कुमार बाजपेयी ने DGEHS अधिकारियों और दिल्ली सरकार के रिटायर्ड अफसरों के साथ बैठक की अध्यक्षता की जिसमें कई फैसले लिए गए. अवतार सिंह, कैलाश गहलोत, राजेश ऋषि और सरिता सिंह ने कोई फैसले लेने वाली बैठक नहीं की. आदर्श शास्त्री ने IT मिनिस्टर के संसदीय सचिव के नाते डिजिटल इंडिया पर एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया और 15,479 रुपये का रियंबर्समेंट लिया. जबकि ऐसा बाकी किसी विधायक के मामले में नहीं दिखा.

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