न्यूज़ डेस्क : अगर जल्दी जांच हो जाए और सही उपचार मिले तो वयस्क और बच्चों दोनों के ज्यादातर मामलों में कैंसर का इलाज सम्भव है। जांच के जरिये आधे से ज्यादा कैंसर को शुरुआती स्टेज पर ठीक किया जा सकता है। यह बात नई दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) के दो सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुदित अग्रवाल और डॉ. संदीप जैन ने इंदौर में कही। दोनों विशेषज्ञ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) इंदौर द्वारा स्थानीय चिकित्सकों से परिचर्चा के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। आईएमए इंदौर के प्रेसिडेंट डॉ. शेखर राव ने डॉक्टरों के इस कॉन्क्लेव का संचालन किया।
आरजीसीआईआरसी के हेड एंड नेक सर्जिकल ओंकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुदित अग्रवाल ने कहा कि कैंसर के इलाज के दौरान होने वाली सर्जरी में अंगों को काटकर हटाना या अंगों का खराब होना अब पुरानी बात हो गई है। नई तकनीकों की मदद से अंगों और उनकी गतिविधियों को बनाए रखना संभव हुआ है, जिससे इलाज के बाद मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
हेड एंड नेक कैंसर के इलाज में रोबोटिक सर्जरी की भूमिका पर डॉ. मुदित अग्रवाल ने कहा, “रोबोटिक सर्जरी जैसी नई तकनीकों ने कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव किया है, क्योंकि रोबोट शरीर के किसी भी अंग में बने कैंसर ट्यूमर तक पहुंच सकते हैं। सर्जरी के पारंपरिक तरीकों में इन ट्यूमर तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता था। रोबोटिक सर्जरी के दौरान अंगों की हिफाजत भी सुनिश्चित होती है। रोबोटिक सर्जरी में सर्जन को 10 गुना बड़ा 3डी व्यू दिखता है। इससे गलती की गुंजाइश कम होती है और इलाज ज्यादा सटीक तरीके से हो पाता है। इससे मरीज जल्दी ठीक होता है। आरजीसीआइआरसी भारत में इकलौता ऐसा इंस्टीट्यूट है जहां हेड एंड नेक सर्जरी के लिए तीन रोबोट हैं।“
बच्चों में होने वाले कैंसर पर बात करते हुए आरजीसीआईआरसी के पीडियाट्रिक हेमैटोलॉजी एंड ओंकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप जैन ने कहा, “बच्चों में कैंसर एक दुर्लभ बीमारी है। भारत में हर साल कैंसर के करीब 50000 ऐसे नए मामले सामने आते हैं, जिनमें मरीज 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। हालांकि अगर समय रहते पता चल जाए और पर्याप्त इलाज मिले तो इसका उपचार संभव है। इस मामले में पीडियाट्रीशियन (बच्चों के डॉक्टर) की अहम भूमिका होती है कि वे समय रहते लक्षणों को पहचानकर बच्चे को सही इलाज के लिए रेफर करें।“
डॉ. संदीप जैन ने आगे कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि मात्र 10-15 प्रतिशत मामलों में ही बच्चों को पर्याप्त इलाज मिल पाता है। इसलिए जांच और जल्दी इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने की तत्काल जरूरत है। आरजीसीआईआरसी देशभर में बच्चों के डॉक्टर से विमर्श कर रहा है, ताकि बच्चों में कैंसर के ज्यादा से ज्यादा मामले शुरुआत में ही सामने आ सकें और उन्हें उचित इलाज मिल सके। अच्छे नतीजे के लिए किसी स्पेशलाइज्ड सेंटर में इलाज बेहद जरूरी है, क्योंकि स्पेशलाइज्ड सेंटर में मल्टी डिसिप्लिनरी अप्रोच अपनाया जाता है।
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