क्या एलर्जी वाले लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा सकता है? जानिये ऐसे जरुरी सवालों के जवाब

न्यूज़ डेस्क : भारत में आज लगातार दूसरे दिन कोरोना के दैनिक नए मामलों की संख्या एक लाख से कम आई है। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 92,596 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, कोरोना के सक्रिय मामले भी और घटकर 13 लाख से कम हो गए हैं, ऐसा 57 दिनों के बाद हुआ है। पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या में कुल 72,287 की कमी आई है। अगर टीकाकरण अभियान की बात करें तो अब तक देश में लोगों को 23.90 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। पिछले 24 घंटे में टीके की 27,76,096 खुराक दी गईं हैं। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी ने वैक्सीन से संबंधित कई जरूरी सवालों के जवाब जारी किए हैं, जिनके जवाब नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दिए हैं।

 

 

 

क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है

इस सवाल के जवाब में डॉ. वी. के. पॉल कहते हैं, ‘अगर किसी को एलर्जी की गंभीर समस्या है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही कोविड का टीका लगवाना चाहिए। हालांकि, अगर यह केवल मामूली एलर्जी- जैसे सामान्य सर्दी, त्वचा की एलर्जी आदि का सवाल है, तो टीका लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।‘ 

 

 

क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है

डॉ. रणदीप गुलेरिया इसी के जवाब में कहते हैं, ‘एलर्जी की पहले से दवा लेने वालों को इन्हें रोकना नहीं चाहिए, टीका लगवाते समय नियमित रूप से दवा लेते रहना चाहिए। यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण के कारण उत्पन्न होने वाली एलर्जी के प्रबंधन के लिए सभी टीकाकरण स्थलों पर व्यवस्था की गई है। अतः हम सलाह देते हैं कि यदि आपको गंभीर एलर्जी हो, तो भी आप दवा लेते रहें और जाकर टीका लगवाएं।‘ 

 

 

 

क्या गर्भवती महिलाएं कोविड-19 का टीका लगवा सकती हैं?

इस सवाल के जवाब में डॉ. वी. के. पॉल कहते हैं, ‘हमारे वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को टीका नहीं लगाया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि डॉक्टरों और वैज्ञानिक समुदाय द्वारा टीका परीक्षणों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अभी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सिफारिश करने का निर्णय नहीं लिया जा सका है। हालांकि, भारत सरकार नए वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर कुछ दिनों में इस स्थिति को स्पष्ट करेगी। यह पाया जा रहा है कि गर्भवती महिलाओं के लिए कई कोविड-19 टीके सुरक्षित पाए जा रहे हैं; हमें उम्मीद है कि हमारे दो टीकों के लिए भी रास्ता खुल जाना चाहिए।‘ 

 

 

 

क्या गर्भवती महिलाएं कोविड-19 का टीका लगवा सकती हैं

डॉ. रणदीप गुलेरिया इसके जवाब में कहते हैं, ‘कई देशों ने गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है। अमेरिका के एफडीए ने फाइजर और मॉडर्ना के टीकों को इसके लिए मंजूरी दे दी है। कोवाक्सिन और कोविशील्ड से संबंधित आंकड़े भी जल्द आएंगे। कुछ डेटा पहले से ही उपलब्ध हैं और हम आशा करते हैं कि कुछ दिनों में हम पूर्ण आवश्यक आंकड़े प्राप्त करने और भारत में भी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को मंजूरी देने में सफल होंगे।‘ 

 

 

 

क्या स्तनपान कराने वाली माताएं कोविड-19 टीका लगवा सकती हैं?

इस सवाल के जवाब में डॉ. वी. के. पॉल कहते हैं, ‘इस बारे में बहुत स्पष्ट दिशानिर्देश है कि टीका स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। किसी प्रकार के भय की कोई आवश्यकता नहीं है। टीकाकरण से पहले या बाद में स्तनपान न कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।‘ 

 

 

 

क्या टीका लगवाने के बाद पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती हैं?

डॉ. रणदीप गुलेरिया इसके जवाब में कहते हैं, ‘यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमें टीकों की प्रभावशीलता का आकलन केवल उससे उत्पन्न होने वाली एंटीबॉडी की मात्रा से नहीं करना चाहिए। टीके कई प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं- जैसे एंटीबॉडी, कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा तथा स्मृति कोशिकाओं के माध्यम से (जो हमारे संक्रमित होने पर अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं)। इसके अलावा, अब तक जो प्रभावोत्पादकता परिणाम सामने आए हैं, वे परीक्षण अध्ययनों पर आधारित हैं, जहां प्रत्येक परीक्षण का अध्ययन डिजाइन कुछ अलग है। अब तक उपलब्ध आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सभी टीकों के प्रभाव- चाहे कोवाक्सिन या कोविशील्ड हो या स्पूतनिक-वी हो कमोबेश बराबर हैं। इसलिए हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह टीका या वह टीका, जो भी टीका आपके क्षेत्र में उपलब्ध है, कृपया आगे बढ़ें और अपना टीकाकरण कराएं, ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे।‘ 

 

 

 

क्या वैक्सीन का इंजेक्शन लगने के बाद रक्त का थक्का बनना सामान्य है?

डॉ. वी. के. पॉल कहते हैं, ‘इस जटिलता के कुछ मामले सामने आए हैं, खासकर एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के संबंध में। यह जटिलता यूरोप में हुई, जहां यह जोखिम उनकी जीवनशैली, शरीर और आनुवंशिक संरचना के कारण उनकी युवा आबादी में कुछ हद तक मौजूद पाई गई। लेकिन, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमने भारत में इन आंकड़ों की व्यवस्थित रूप से जांच की है और पाया है कि रक्त के थक्के जमने की ऐसी घटनाएं यहां लगभग नगण्य हैं- इतनी नगण्य कि किसी को इसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यूरोपीय देशों में, ये जटिलताएं हमारे देश की तुलना में लगभग 30 गुना अधिक पाई गईं है।‘ 

 

 

 

अगर मुझे कोविड संक्रमण हो गया है, तो कितने दिनों के बाद मैं टीका लगवा सकता हूं?

डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं, ‘नवीनतम दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस व्यक्ति को कोविड-19 का संक्रमण हुआ है, वह ठीक होने के दिन से तीन महीने बाद टीका लगवा सकता है। ऐसा करने से शरीर को मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी और टीके का असर बेहतर होगा।‘ 

 

 

 

दोनों विशेषज्ञों, डॉ. वी. के. पॉल और डॉ. रणदीप गुलेरिया ने जोर देकर आश्वस्त किया कि हमारे टीके आज तक भारत में देखे गए म्यूटेंट पर प्रभावी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को भी झूठी और निराधार बताया कि टीके लगने के बाद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है या लोग टीके लगवाने के बाद मर जाते हैं, जैसी कि ग्रामीण क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में कुछ लोगों की गलत धारणा है। 

 

स्रोत और संदर्भ:   

कोविड-19 टीकाकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1725252 

 

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