लोन वसूली के लिए उत्तराधिकारी को गिरफ्तारी नहीं कर सकते : हाईकोर्ट

न्यूज़ डेस्क : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि लोन वसूली की कार्यवाही में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी कर उसे 14 दिन तक हिरासत में रखना मनमानापूर्ण, अवैध एवं संविधान के तहत मिले जीवन के मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने गिरफ्तारी को धारा 45 (ए) की बाध्यकारी प्रक्रिया के विपरीत करार दिया है।

 

साथ ही कहा कि उत्तराधिकारी के खिलाफ लोन वसूली की कार्यवाही उसे उत्तराधिकार में मिली संपत्ति तक ही सीमित है। बैंक को विहित प्रक्रिया के तहत कोर्ट के माध्यम से लोन की वसूली करने का ही अधिकार है। वह भी देयता तिथि से तीन साल के भीतर ही हो सकती है। इस धारा में महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, सैनिकों व कानून में छूट प्राप्त लोगों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। 

 

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने शिव नारायण व चार अन्य की याचिका पर दिया है। न्यायमूर्ति केशरवानी ने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ उत्पीड़न को कोर्ट आंख बंदकर नहीं देख सकती। किसान का जीवन संघर्ष में उलझा हुआ है। उसकी आर्थिक स्थिति व क्षमता को देखते हुए कोर्ट फैसला ले सकती है। तकनीकी कारण न्याय में बाधक नहीं बन सकते। उत्तराधिकारी को मिले अधिकार की हद तक ही वसूली हो सकती है। उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने अवैध गिरफ्तारी पर मुआवजा पाने के अधिकार पर प्रदेश के मुख्य सचिव को सचिव रैंक के अधिकारी से रिपोर्ट मंगाकर मुआवजा निर्धारित करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि सचिव, जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगकर मुख्य सचिव को रिपोर्ट दें और मुख्य सचिव मुआवजे का निर्धारण कर आधी राशि बैंक व शेष आधी राशि राज्य सरकार से लेकर याची को दिलवाएं। 

 

कोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को सर्कुलर जारी कर लोन की अदायगी न करने वालों की गिरफ्तारी के कानून का पालन करने का निर्देश देने को कहा है। साथ ही लोन वसूली के लिए ओटीएस स्कीम को तहत याची को लाभ देने और तब तक याची से लोन वसूली न करने का निर्देश दिया है। 

 

याची के पिता रामेश्वर ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए 12 सितम्बर 2000 को डेढ़ लाख रुपये का ऋण उत्तर प्रदेश सरकारी ग्राम विकास बैंक हमीरपुर से लिया। उसने लोन की किश्तों का भुगतान नहीं किया और 16 अप्रैल 2018 को उसकी मृत्यु भी हो गई। बैंक ने 18 जून 2013 को 10 फीसदी संग्रह चार्ज के साथ 9 लाख 16 हजार 501 रुपये की उत्तराधिकारी याचियों से वसूली कार्यवाही शुरू की। इसके तहत दिवंगत रामेश्वर के पुत्र याची शिव नारायण को गिरफ्तार कर 14 दिन की हिरासत में रखा गया। कोर्ट ने कहा कि व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 11 व राजस्व संहिता सहित अन्य कानूनों में लोन वसूली की प्रक्रिया दी गई है और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही लोन की वसूली की जा सकती है। 

 

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