न्यूज़ डेस्क : केंद्रीय पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने कहा कि पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने से देश में हर साल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक गतिविधियां सृजित करने व बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिल सकती है। अभी देश में बेचे जाने वाले पेट्रोल में एथनॉल का हिस्सा पांच फीसदी से कुछ ऊपर है।
कपूर ने कहा कि, ‘हमने एक गणना की और हमारे पास जो मौजूदा कार्यक्रम हैं उसके मुताबिक हमारे पास पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाया जा सकता है। इसके साथ ही हम पांच हजार कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र लगाना चाहते हैं। इससे हर साल एक लाख करोड़ से अधिक की आर्थिक गतिविधियां सृजित हो सकती हैं।’
पेट्रोलियम सचिव रिपोज एनर्जी और टाटा मोटर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह दुनिया जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाने के लिए ऊर्जा के नए स्रोतों को अपना रही है, भारत में भी ऐसा एक बदलाव चल रहा है। हालांकि, अभी देश को अधिक ऊर्जा की जरूरत है, ऐसे में बदलाव कोयला से तेल या गैस की ओर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘यदि भारत को अक्षय ऊर्जा और गैस की ओर बढ़ना है, तो यह देखना होगा कि देश के भीतर क्या उत्पादन हो सकता है। यह वह जगह है, जहां जैव ईंधन और सौर ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।’
क्या होता है एथनॉल फ्यूल?
एथनॉल एक प्रकार का फ्यूल है जिसके इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है इस फ्यूल से गाड़ियां भी चलाई जा सकती हैं। एथनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। एथनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा होता है। भारतीय परिपेक्ष्य में देखा जाए तो एथनॉल ऊर्जा का अक्षय स्रोत है क्योंकि भारत में गन्ने की फसल की कमी कभी नहीं हो सकती।
क्या हैं एथनॉल के फायदे
एथनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है। इसके अलावा एथनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है। एथनॉल फ्यूल को इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आती है।
हमें क्यों है एथनॉल फ्यूल की जरूरत
एथनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। इस फ्यूल को गन्ने से तैयार किया जाता है। कम लागत पर अधिक ऑक्टेन नंबर देता है और MTBE जैसे खतरनाक फ्यूल के लिए ऑप्शन के रूप में काम करता है। यह इंजन की गर्मी को भी बाहर निकलता है। एल्कोहल बेस्ड फ्यूल गैसोलीन के साथ मिलकर ई 85 तक तैयार हो गया। कहने का मतलब एथनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए सुरक्षित है।
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