न्यूज़ डेस्क : यदि किसी घर खरीदार ने पिछले वित्त वर्ष में बुक कराया गया फ्लैट निरस्त कराया है तो बिल्डर को उस फ्लैट पर किये गये माल एवं सेवाकर (जीएसटी) भुगतान का रिफंड करना होगा। बिल्डर को ऐसे रिफंड के बदले में क्रेडिट समायोजन की सुविधा मिलेगी। कर विभाग ने यह स्पष्टीकरण दिया है।
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा रीयल एस्टेट क्षेत्र पर जारी ‘आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब में यह स्प्ष्टीकरण दिया है। रीयल एस्टेट क्षेत्र में जीएसटी दरों में किये गये बदलाव को लेकर यह स्पष्टीकरण जारी किया गया है।
ताजा बदलाव के तहत बिल्डरों को अब बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ उठाये सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर एक प्रतिशत और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने की अनुमति दी गई है। नई व्यवस्था एक अप्रैल 2019 से लागू हो गई है।
बिल्डरों की जो परियोजनायें एक अप्रैल 2019 से पहले से चल रही हैं उनके मामले में उन्हें नई व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया गया है। ऐसी परियोजनाओं के लिये या तो वह पुरानी जीएसटी व्यवस्था को जारी रख सकते हैं अथवा एक प्रतिशत और पांच प्रतिशत की नई दर को अपना सकते हैं।
पुरानी व्यवस्था में सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिये आठ प्रतिशत और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों के लिये 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रावधान है। इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ भी बिल्डर उठा सकते हैं, जबकि नई व्यवस्था में दरें घटा दी गईं हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा को समाप्त कर दिया गया है।
कर विभाग के जारी किये गये सवाल-जवाब (एफएक्यू) में कहा गया है कि फ्लैट का दाम बदलने या फिर बुकिंग निरस्त होने की स्थिति में डेवलपर धारा 34 में किये गये प्रावधान के अनुरूप खरीदार के लिये ‘क्रेडिट नोट’ जारी कर सकता है।
एफएक्यू में कहा गया है, ”डेवलपर को इस तरह जारी क्रेडिट नोट की राशि के किये गये कर भु्गतान पर समायोजन की सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें उदाहरण दिया गया है कि यदि किसी डेवलपर ने एक अप्रैल 2019 से पहले की 10 लाख रुपये की बुकिंग राशि पर 12 प्रतिशत की दर से 1.20 लाख रुपये का जीएसटी भुगतान किया है। ऐसी बुकिंग के निरस्त होने की स्थिति में बिल्डर को उसकी अन्य जीएसटी देनदारियों के समक्ष 1.20 लाख रुपये के समायोजन की अनुमति होगी।”
एएमआरजी एण्ड एसोसियेट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इस स्पष्टीकरण से निश्चित ही पुरानी बुकिंग निरस्त कराने वाले ग्राहकों का कर बोझ कम होगा।
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