अकालियों के बाद अब बसपा हरियाणा में दस्तक देने को तैयार

चंडीगढ़। हरियाणा को एक सांसद और पांच विधायक दे चुकी बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में प्रभावी उपस्थिति दिखाने की तैयारी में है। कभी इनेलो के हमसफर रहे शिरोमणि अकाली दल के हरियाणा में शहरी निकाय चुनाव लड़ने तथा विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने के एलान के बाद बसपा ने एकाएक अपनी सक्रियता बढ़ाई है। 1998 में दो दशक पहले बसपा और इनेलो का गठबंधन रह चुका तथा 2009 में हजकां के साथ हुआ गठबंधन टूट चुका है। हजकां अब कांग्रेस का हिस्सा है।

बसपा ने इस बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के इरादे से अपनी तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश, मंडल, जिला, विधानसभा और बूथ कमेटियों का गठन इस तरह से किया जा रहा, ताकि उनमें सोशल इंजीनियरिंग (सभी जातियों के प्रतिनिधित्व) का फार्मूला दिखाई दे। हालांकि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी या फिर किसी राजनीतिक दल के साथ यह तय नहीं है।

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में 17 आरक्षित (रिजर्व) हैं। इन सीटों पर पार्टी का खास फोकस रहने वाला है। बसपा के हरियाणा-पंजाब व चंडीगढ़ के प्रभारी तथा उत्तर प्रदेश में मंत्री रहे मेघराज, हरियाणा के संयोजक प्रभारी नरेश सारन तथा प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश भारती के बीच हाल ही में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मीटिंग हुई है। रिटायर्ड आइएएस एवं पूर्व मंत्री कृपा राम पूनिया की बसपा में एंट्री को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

इनेलो और कांग्रेस के तमाम वे नेता भी अब बसपा हाईकमान से पींगें बढ़ाने में जुट गए हैैं, जो कभी बसपा में रहकर राजनीति कर चुके हैैं। इनमें कुछ नेता भाजपा के भी हैैं, मगर उनकी दाल गलेगी, इसमें संदेह है। पार्टी 2009 के चुनाव के दौरान का ठीक वैसा माहौल बनाने की रणनीति में जुटी हुई है, जो कभी हरियाणा-पंजाब-चंडीगढ़ के प्रभारी रहे मान सिंह मनहेड़ा के कार्यकाल में बना था। मनहेड़ा का निधन हो चुका है।

बसपा हरियाणा के प्रभारी नरेश सारन के अनुसार पार्टी सुप्रीमो मायावती ने सभी को तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। इस कड़ी में जल्द ही सभी कमेटियां सार्वजनिक की जाएंगी। इन कमेटियों में सर्वजन समाज के कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व रहेगा। बसपा विधायकों के चुने जाने के बाद अक्सर उनका झुकाव सत्तारूढ़ दल के साथ हो जाने से सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सारी चीजें पार्टी अध्यक्ष की जानकारी में हैं। अगले चुनाव में इस पर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा।

चौटाला के सहयोग से पहले एमपी बने थे नागरा

बहुजन समाज पार्टी और इनेलो के बीच राजनीतिक गठबंधन के चलते 1998 में एक सांसद चुनकर आ चुका है। तब अंबाला लोकसभा सीट से अमन नागरा सांसद बने थे। नागरा हरियाणा से बसपा के पहले और आखिरी सांसद रहे हैैं। नागरा बसपा की कमान भी संभाल चुके हैैं।

1991 से 2014 तक पांच विधायक जीतकर आए

1991 से लेकर 2014 तक विभिन्न चुनावों में बसपा का कोई न कोई विधायक चुनकर आता रहा है। हालांकि इनमें सो की रिपीट नहीं हुआ। सन् 1991 में सुरजीत सिंह नारायणगढ़ हलके से पहले विधायक चुने गए। फिर 2000 में जगाधरी हलके से बिशन सिंह सैनी, 2005 में छछरौली हलके से अर्जुन सिंह गुर्जर तथा 2009 में छछरौली से ही चौ. अकरम खान विधायक चुने गए। 2014 में पृथला हलके से टेकचंद शर्मा बसपा के विधायक बने। दिलचस्प बात यह भी कि बसपा से जीते विधायक जो भी दल सत्तारूढ़ रहा उसके समर्थन में रहे। हालांकि इसके लिए पार्टी ने कभी निर्देश नहीं दिए, लेकिन ऐसा करने पर रोका भी नहीं।

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