लंदन । हाल में हुए शोध में सामने आया हैं कि प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने में सबसे सक्षम एमआरआई स्कैन आधे पुरुषों को नहीं मिल पाता। जिसके कारण प्रोस्टेट कैंसर के सही समय पर पता नहीं लग पाता और ये खतरनाक रूप ले लेता है। प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए रोगियों को एमआरआई स्कैन करवाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह अन्य दर्दनाक बायोप्सी टेस्ट से ज्यादा प्रभावशाली है और खतरनाक ट्यूमर को 93 प्रतिशत सही जांचता है।
शोधकर्ता ने कहा कि ये टेस्ट भयावह नहीं, बल्कि जीवन दान देने वाला है। कुछ अस्पतालों से प्राप्त जानकारियों के अनुसार केवल 51 प्रतिशत लोगों को ही एमआरआई स्कैन की सुविधा मिल पाती है। कुछ लोगों को आयु भेदभाव की वजह से ये सुविधा मुहैया नहीं होती है, क्योंकि कई अस्पताल 75 से ज्यादा उम्र के पुरुषों को एसआरआई स्कैन करवाने से मना कर देते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार,जिन पुरुषों के खून में प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए, जो कि प्रोस्टेट कैंसर के संभावित मरीजों में पाया जाता है) के मिलने के बाद उन्हें पहले बायोप्सी और अगर नतीजे सही नहीं मिलने पर एमआरआई स्कैन के लिए भेजा गया।
जिसमें पाया गया कि एमआरआई ज्यादा प्रभावशाली और सही परिणाम देता है। इस शोध में ये भी पाया गया कि एमआरआई की सुविधा एनएचएस के सिर्फ 57 प्रतिशत ट्रस्ट ही दे पा रहे थे, जिससे ब्रिटेन के 51 प्रतिशत पुरुष ही इस सुविधा का लाभ उठा पा रहे थे। जबकि 16 प्रतिशत लोगों को आयु भेदभाव की वजह से ये टेस्ट नहीं करवाया गया।
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