न्यूज़ डेस्क : बसपा अध्यक्ष मायावती एक बार फिर अपनी ‘सोशल इंजीनियरिंग’ थ्योरी को आजमाने का मन बना रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बसपा ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 25 फीसदी टिकट, ब्राह्मणों को दिए हैं। जबकि अभी तक जितने भी प्रभारी बसपा ने नियुक्त किए हैं उसमें सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मणों की ही है।
बसपा ने दूसरी पार्टियों की तुलना में ब्राह्मणों को ज्यादा सीटें दी हैं, जिससे न सिर्फ भाजपा को कमजोर किया जा सके बल्कि कांग्रेस के खाते में वोट जाने से बचाया जा सके। कुछ सीटों को छोड़कर बसपा लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों का चयन कर चुकी है। बसपा एक बार फिर 2007 विधानसभा चुनाव परिणाम दोहराने के मूड में है।
माना जा रहा है कि अनुसूचित जाति-मुसलमानों के अलावा सपा के साथ आने से ओबीसी वोट भी बसपा के खाते में जाएगा। वहीं ब्राह्मणों को टिकट देने से बसपा को लगता है कि उसे भाजपा और कांग्रेस पर बढ़त हासिल हो सकेगी।
बसपा आठ ब्राह्मणों को लोकसभा का टिकट देने जा रही है, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश से 6 नाम करीब-करीब तय हो चुके हैं। राकेश पांडे (अंबेडकर नगर), नकुल दुबे (सीतापुर), कुशल तिवारी (खलीलाबाद), संतोष तिवारी (कैसरगंज), रंगनाथ मिश्रा (भदोही), अशोक तिवारी (प्रतापगढ़)।
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