भाजपा ने शुरू किया युद्धस्तर पर मिशन बंगाल

यूपी, बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, झारखंड के नेता बदलेेंगे बिहार

तृणमूल के दागी नेताओं ने देखना शुरू किया भाजपा का दरवाजा

भाजपा के पुराने नेताओं को सता रही है खुद के अस्तित्व की चिंता

 

 

 

न्यूज़ डेस्क : मार्च-अप्रैल 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। समय कम है और बंगाल बदलना है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अभी से ही हुंकार भरना शुरू कर दिया है। घोष कहते हैं कि इस बार बंगाल हमारा है। पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजकमल पाठक कहते हैं कि जनता बंगाल में सत्ता बदलने के लिए तैयार है। पार्टी को तैयार होना बाकी है। पार्टी के दूसरे उपाध्यक्ष देबाशीष मित्रा के मुताबिक इस बार सत्ता में नहीं आए तो अगले 20 साल तक मुश्किल होगी। मित्रा के अनुसार समय कम है और चुनौती ज्यादा। इसलिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू करने का समय आ गया है। मित्रा कहते हैं कि अब जमीनी सर्वे का काम शुरू हो जाना चाहिए और बूथ तथा वार्ड स्तर के प्रमुखों, कार्यकर्ताओं से वोटर लिस्ट में सुधार को लेकर फीडबैक लेनी की प्रक्रिया तेज होगी।

 

 

नेता खटखटा रहे हैं दरवाजा और भाजपा नेताओं को सता रहा है डर

अर्जुन सिंह अब प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। कभी अर्जुन सिंह ने भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं को बुरी तरह प्रताड़ित किया था। तब वह तृणमूल कांग्रेस में थे। कुछ और ऐसे मुस्लिम नेता भी भाजपा में आए हैं, जिन्होंने भाजपा के नेताओं कार्यकर्ताओं की पिटाई, प्रताड़ना कराई है। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेताओं का कहना है कि इस तरह के तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में आने के लिए तैयार खड़े हैं। कई मोलभाव में लगे हैं। इनमें हल्दिया से भी एक नेता हैें। नदिया से भी एक-दो नेता हैं। पार्टी के एक उपाध्यक्ष का कहना है कि चुनावों को देखते हुए ऐसे नेताओं की भाजपा में एंट्री और उन्हें टिकट मिलने से पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। इससे भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को निराशा होगी। इसलिए दिल्ली के नेताओं को इस पर ध्यान देना चाहिए।

 

 

राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर बंगाल में भगवा ध्वज लहराएगा

प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, उपाध्यक्ष देबाशीष मोइत्रा, राजकमल पाठक, किशोर बर्मन जैसे भाजपा के दिग्गज नेताओं का कहना है कि बंगाल में इस बार का चुनाव राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर होगा। तृणमूल कांग्रेस का शासन जाएगा और जनता बंगाल बदलेगी। भाजपा के नेताओं का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं के दमन और प्रताड़ना से पूरे बंगाल में जनता में भारी नाराजगी है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बंगाल में बड़ी मांग है। वह शीर्ष स्टार प्रचारकों में रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बंगाल में लगातार लोकप्रियता बढ़ रही है। बंगाल में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लोगों की अच्छी खासी संख्या है। इसलिए इन राज्यों से संघ, भाजपा के कार्यकर्ताओं, प्रचारकों के आने के बाद पूरा माहौल बदल जाएगा।

 

 

सीपीएम के कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हों तो सबसे अच्छा

भाजपा (दक्षिणपंथी) और सीपीएम (वामपंथी) पश्चिम बंगाल में विचारधारा के स्तर पर कभी ओर-छोर के दो बिंदुओं पर दोनों दल खड़े थे। अब सीपीएम वहां राजनीतिक रूप से हाशिये पर आ गई है। कांग्रेस के साथ तालमेल के जरिए सत्ता में लौटने का संघर्ष कर रही है। तृणमूल कांग्रेस ने वामदलों के कार्यकर्ताओं को अपना कर बंगाल में अपना परचम लहरा रखा है। अब सीपीएम का यही कैडर, उसके नेता भाजपा की पहली पसंद बने हुए हैं। कुछ ने भाजपा को ज्वाइन भी किया है। देबाशीष मोइत्रा अमर उजाला से कहते हैं यदि हमें भाजपा में शामिल करने के लिए चुनना हो तो पहली वरीयता सीपीएम के नेताओं को देंगे। उन्हें जमीनी स्तर की बड़ी सटीक जानकारी रहती है। उन्हें पता रहता है कि कौन वोट देगा और कौन नहीं।

 

भाजपा ज्वाइन करने के लिए पार्टी नेताओं की नजर तृणमूल के मौजूदा एमपी, एमएलए और बड़े नेताओं पर टिकी है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ऐसे नेता सीपीएम छोड़ने के मूड में कम हैं। पार्टी के एक महासचिव ने बताया कि हाल में ममता बनर्जी ने दागी नेताओं तो विधानसभा चुनाव में न उतारने की घोषणा की है। सूत्र का कहना है कि अब ऐसी ही छवि के लोग भाजपा का दरवाजा खटखटा रहे हैं। इनके पार्टी में आने से फायदा कम और नुकसान ज्यादा है।

 

 

प्रत्याशी चयन के सर्वे में अब देरी ठीक नहीं

पार्टी के एक उपाध्यक्ष ने कहा कि जिला स्तर की कार्यकर्ताओं की बैठक हो गई। बूथ और वार्ड स्तर तक वोटर लिस्ट में सुधार की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा गया है। प्रचार अभियान, चुनाव प्रबंधन, लोगों से जनसंपर्क की प्रक्रिया के लिए तथा बूथ और वार्ड स्तर पर वोटर लिस्ट के प्रगति की जानकारी लेने के लिए मंडल और जिला स्तर पर फीडबैक लिया जाना चाहिए। चुनाव और प्रचार के प्रशिक्षण के कार्यक्रम तेज होने चाहिए। टिकट के बंटवारे के लिए जमीनी सर्वे, प्रत्याशियों को लेकर काम शुरू होना चाहिए। सूत्र का कहना है कि अभी यह काम शुरू नहीं हो पाया है। अभी केवल कार्यकर्ताओं की बैठकें चल रही हैं। जबकि अब ज्यादा समय नहीं रह गया है। पार्टी उपाध्यक्ष का कहना है कि इसके लिए भाजपा मुख्यालय को ध्यान देने की आवश्यकता है।

 

 

 

बंगाल में खूब चलेंगे ओवैसी, काटेंगे ममता का वोट

देबाशीष मित्रा का कहना है कि बंगाल में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पश्चिम बंगाल में प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। मित्रा बताते हैं कि बिहार में उनकी पार्टी को पांच सीटें मिली हैं और उन्होंने विपक्षियों का बहुत नुकसान किया। सीमांचल में भाजपा 12 में से आठ सीटें जीत गई और ओवैसी की पार्टी को भी पांच सीटें मिली हैं। मित्रा का मानना है कि ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से भाजपा को बड़ा फायदा होगा। बंगाल में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर हैं और एआईएमआईएम के प्रत्याशी तृणमूल कांग्रेस का वोट काटेंगे। कांग्रेस और सीपीएम भी तृणमूल कांग्रेस का वोट काटेगी और इसका भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा।

 

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