उत्तर प्रदेश में छोटे दलों के साथ सपा के गठजोड़ पर भाजपा की नजर

लखनऊ । समाजवादी पार्टी छोटे दलों के गठजोड़ में जुट गई है। पहले पीस पार्टी और निषाद के साथ गठबंधन, फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सपा ने समर्थन लिया है। सपा की इस रणनीति पर भाजपा की नजर टिक गई है। भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों के जरिये जातीय संतुलन साधने की पहल की है तो दूसरी तरफ बूथ कमेटियों के जरिये भी किला फतेह करने के पुराने फार्मूले पर जोर है। निषाद और पीस पार्टी मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके थे, लेकिन उप चुनाव के लिए सपा से इनका गठबंधन हुआ है।

चुनावी अभियान को गति

सपा ने प्रवीण कुमार निषाद को गोरखपुर और फूलपुर में नागेंद्र सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया जबकि भाजपा ने गोरखपुर में क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल और फूलपुर में प्रदेश मंत्री कौशलेंद्र सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस से गोरखपुर में डॉ. सुरहीता करीम और फूलपुर में मनीष मिश्र उम्मीदवार हैं। कांग्रेस दोनों क्षेत्रों में चुनावी अभियान को गति देने में लगी है। इस बीच शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी उप चुनाव में सपा को समर्थन दे दिया है। यूं तो नाम वापसी का समय बीत गया है, लेकिन राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने कांग्रेस से अपने उम्मीदवारों को वापस लेने की अपील की है। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात को भी नए संदर्भ से जोड़ा जा रहा है। इधर सपा की कई अन्य छोटे दलों के नेताओं से नजदीकी बढ़ी है।

सपा की पैंतरेबाजी की काट की तलाश

भाजपा के नियंता सपा की इस पैंतरेबाजी की काट में जुटे हैं। सपा छोटे दलों के जरिये अगर जातीय गोलबंदी की कोशिश कर रही है तो भाजपा अपने जातीय क्षत्रपों को मैदान में आगे करके अपना समीकरण मजबूत कर रही है। भाजपा का बूथ स्तर पर मजबूत संगठन का ताना-बाना भी है। इन बूथ कमेटियों में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाकर भाजपा सबको साधने का प्रयास कर रही है। सबसे खास बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर 40 स्टार प्रचारकों की जो सूची निर्वाचन आयोग से अनुमोदित कराई गई है, उसमें भी भाजपा ने संगठन और सरकार के उन लोगों को शामिल किया है जो अपनी-अपनी जाति में प्रभाव रखते हैं।

40 प्रचारकों में अगड़ों-पिछड़ों का समन्वय

निर्वाचन आयोग ने भाजपा के जिन 40 स्टार प्रचारकों के नाम को मंजूरी दी है उनमें अगड़ों और पिछड़ों का समन्वय है। सूची में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, सह प्रभारी सुनील ओझा, पूर्व मंत्री कलराज मिश्र, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति व संतोष गंगवार, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, सिद्धार्थनाथ सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, रमापति राम शास्त्री, स्वतंत्र देव सिंह, अनुपमा जायसवाल, जयप्रकाश निषाद, भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल, भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष यदुवंशी, भाजपा प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता, कौशलेंद्र सिंह, अमरपाल मौर्य, उपेंद्र शुक्ल, लक्ष्मण आचार्य, शिवकुमार पाठक, रत्नाकर, विधायक श्रीराम चौहान व भूपेश चौबे, सांसद श्यामा चरण गुप्ता, कमलेश पासवान व रवींद्र कुशवाहा, भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त, अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सोनकर व प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष राजेश वर्मा का नाम शामिल है।

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