नई दिल्ली । बीते वर्ष में देश में 70 लाख लोगों को नौकरियां मिली। पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के बेरोजगारी बढ़ने के आरोपों को किया खारिज करते हुए कहा कि पिछले साल 70 लाख रोजगार पैदा करने में सरकार सक्षम रही है। एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि नौकरियों की कमी से अधिक बड़ा मुद्दा नौकरियों की डेटा की कमी होना है। विपक्ष ने स्वाभाविक रूप से अपनी पसंद की एक तस्वीर पेश करने और सरकार को दोषी ठहराते हुए इस अवसर का फायदा उठाया है।
मोदी ने एक बातचीत में कहा कि नौकरियों के मुद्दे पर हमें दोष देने के लिए मैं विपक्ष को दोष नहीं देता, मगर यह बताना जरूरी है कि उनके पास नौकरियों पर सटीक डेटा नहीं है। नई इकॉनमी में पैदा होने वाली नौकरियों के हिसाब से नौकरियां को गिनने के हमारा तरीका पुराना है और वो सही नहीं है। जब नौकरियों को मापने के सही तरीके को लेकर पीएम मोदी से सवाल किया गाया तो उन्होंने के कहा कि जब हम अपने देश में रोजगार के रुझानों को देखते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे युवाओं की चाहतें उनकी आकांक्षाएं अलग-अलग हैं।
उदाहरण के लिए, देश भर में करीब तीन लाख ऐसे उद्यमी हैं जो कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं। स्टार्ट-अप नौकरियां जॉब क्रिएशन में प्रोत्साहन के रूप में काम कर रही हैं। आज देशभर में लगभग 15,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जो हजारों युवाओं को रोजगार देते हैं जिन्हें सरकार किसी न किसी तरह से मदद कर रही है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि यदि हम रोजगारों की गिनती को देखें हैं तो ईपीएफओ पेरोल डेटा के आधार पर सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक 41 लाख से अधिक औपचारिक जॉब क्रिएट की गई थीं। एक अध्ययन के मुताबिक, ईपीएफओ के आंकड़ों के आधार पर पिछले साल फॉर्मल सेक्टर में 70 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुई थीं।
जब पीएम मोदी से इस बात पर सवाल किया गया कि जॉब क्रिएशन को लेकर सरकार के दावों और एक्सपर्ट की राय मेल नहीं खाती। इस पर मोदी ने कहा कि पिछले साल जुलाई से देश की आजादी तक भारत में 66 लाख रजिस्टर्ड उद्यम थे। सिर्फ एक वर्ष में 48 लाख नए उद्यम रजिस्टर हुए हैं। क्या इसका परिणाम औपचारिकता और बेहतर नौकरियों की तरफ इशारा नहीं करता? मुद्रा (माइक्रो लोन) के तहत 12 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं।
क्या यह उम्मीद करना अनुचित है कि एक लोन कम से कम एक व्यक्ति के लाइफ को सपोर्ट करने उसके साधनों को जुटाने में समर्थ है? पीएम मोदी ने आगे कहा कि पिछले एक साल में एक करोड़ से अधिक घरों का निर्माण किया गया है; इससे जाहिर तौर पर कई रोजगार पैदा हुए। यदि सड़क निर्माण में प्रति माह दोगुनी से अधिक की वृद्धि हुई है, यदि रेलवे, राजमार्ग, एयरलाइंस आदि में जबरदस्त वृद्धि हुई है, तो यह क्या इशारा करता है? क्या ये सभी इंफ्रास्ट्रक्टर्स लोगों की भागीदारी के बिना संभव हो पाएगा? इस विकास के रेशियो में रोजगार हिस्सा बराबर का है।
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