न्यूज़ डेस्क : लोगों में क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज बढ़ रहा है। वीजा इंक ने कहा है कि वह अपने पेमेंट नेटवर्क पर लेनदेन के सेटलमेंट के लिए क्रिप्टोकरेंसी यूएसडी क्वाइन के इस्तेमाल की इजाजत देगा। यूएसडी क्वाइन एक स्टेबल क्वाइन क्रिप्टोकरेंसी है, जिसकी कीमत सीधे अमेरिकी डॉलर से जुड़ी होती है। इसके बाद बिटक्वाइन में तेजी आई और यह एक सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया। बिटक्वाइन की कीमत में 4.5 फीसदी का उछाल आया और यह 58,000 डॉलर के पार है।
इस संदर्भ में वीजा इंक ने कहा है कि उसने पेमेंट व क्रिप्टो प्लेटफॉर्म (Crypto.com) के साथ एक पायलट प्रोग्राम लॉन्च किया है। कंपनी की योजना साल के अंत में और अधिक भागीदारों को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पेमेंट सेटलमेंट का विकल्प उपलब्ध कराने की है। वीजा क्रिप्टोकरेंसी यूएसडीसी में लेनदेन सेटल करने वाला पहला प्रमुख पेमेंट नेटवर्क बन गया है।
इन कंपनियों ने भी डिजिटल क्वाइन को अपनाया
मालूम हो कि वीजा ने यह कदम अन्य प्रमुख वित्तीय कंपनियों जैसे बीएनवाई मेलॉन, ब्लैकरॉक इंक और मास्टरकार्ड इंक के बाद उठाया है। इन कंपनियों ने भी कुछ डिजिटल क्वाइन को अपनाया है।
क्या है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे आप देख नहीं सकते। आसान शब्दों में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को कोई बैंक जारी नहीं करती है। इसे जारी करने वाले ही इसे कंट्रोल करते हैं। इसका इस्तेमाल डिजिटल दुनिया में ही होता है।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2018 में एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को बैन किया था। लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी, जिसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं, उससे ट्रेड को मंजूरी दे दी है। कोर्ट के इस आदेश के बाद वर्चुअल करेंसी जैसे बिटक्वाइन में कानूनी रूप से लेन-देन किया जा सकता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर थी 10 साल की जेल
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी। ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंसी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटा दिया है।
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