क्या बदलेगा बिहार
बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। लेकिन वर्तमान विधानसभा के 240 विधायकों के हलफनामे के अध्ययन के बाद यह तस्वीर सामने आई है कि वर्तमान विधायकों में से 136 (57 फीसदी) विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। इनमें 94 (39 फीसदी) पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इन तथ्यों की जानकारी के बाद क्या राजनीतिक दल साफ–सुथरी छवि के उम्मीदवार उतारेंगे, क्या बिहार में स्वच्छ छवि के उम्मीदवार चुने जाएंगे, इन सवालों के जवाब 10 नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही मिल पाएगा।
कैसे सुधरेगी स्थिति
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने देश की सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के मामलों की फास्ट ट्रैक आधार पर सुनवाई सुनिश्चित करें। ऐसे मामलों की सुनवाई एक साल के अंदर निपटाने का आदेश दिया गया है। अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो इससे अपराधियों के राजनीति में आने पर लगाम लगेगी। क्योंकि उन्हें पता होगा कि वे जिन मामलों में आरोपी हैं, अगर उनमें उन्हें सजा सुनाई जाएगी तो उन्हें दस–बीस साल तक भी जेल में रहना पड़ सकता है।
ऐसी परिस्थिति में अपराधी स्वयं चुनाव में उतरने से बचेंगे। उन्होंने कहा कि देश में कुल 790 सांसद और लगभग 4200 विधायकों का चुनाव होता है। यह पूरे देश की जिम्मेदारी है कि अपनी व्यवस्था में से पांच हजार साफ–स्वच्छ छवि के लोगों का चयन करें जिससे वे देश की जनता के लिए बेहतर कानून बनाएं। इससे देश में अच्छे कानून बनाने और उन्हें लागू कराने की बेहतर शुरुआत हो सकेगी।
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