छोटे घरों में बसते बड़े सपने…!

छोटे घरों में बसते बड़े सपने…!

पंजाब में अपने मध्यमवर्गीय लेकिन बड़े से घर में रावी को कभी अपनी जगह किसी से बांटनी नहीं पड़ी। उस घर में परिवार के हर सदस्य के लिए एक अलग कमरा होता था। लेकिन किस्मत देखिए, रावी को विशी से प्यार हो गया और अब उसकी शादी एक महाराष्ट्रीयन परिवार में हो रही है। यह दलवी परिवार मुंबई की एक चाल में एक छोटे से कमरे में रहता है, जहां पड़ोसी भी घर के सदस्य की तरह हैं। इस संयुक्त रहन-सहन के माहौल में रावी दर्जनों पड़ोसियों, रिश्तेदारों, घर के कामकाज से जुड़े लोगों और दोस्तों से घुल-मिल जाती है।

ये सभी लोग उनके घर में जब चाहे तब बेधड़क आते -जाते हैं। रावी, विशी के माहौल और उसके लोगों से अच्छी तरह पेश आती है लेकिन फिर धीरे-धीरे उन्हें इस जिंदगी में घुटन का एहसास होने लगता है। विशी और रावी को इस घर में अपने निजी पल बिताने के लिए न तो वक्त मिलता है और न ही जगह।

विशी को इस बात का एहसास होता है कि रावी ने पंजाब में अपना बड़ा-सा घर छोड़कर मुंबई की चाल संस्कृति को अपनाया है। इसके बाद विशी अपने और रावी के लिए एक बेडरूम का फ्लैट खरीदने का फैसला करता है। लेकिन चूंकि उन्होंने सारे परिवार के साथ रहकर हर पल को जिया है, तो रावी सबके बिना यह घर छोड़ने से इंकार कर देती है।

इसके बाद विशी-रावी और पूरे दलवी परिवार का मुंबई में 3 बेडरूम के फ्लैट में जाने का एक चुनौतीपूर्ण सफर शुरू होता है। एक सामुदायिक जीवनशैली के ऐसे ही कुछ फायदे और नुकसान से जुड़े सवालों को पेश कर रहा है ज़ी टीवी का अगला प्राइमटाइम फिक्शन ड्रामा ‘दिल ढूंढ़ता है’। यह शो ऐसे भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों का संघर्ष दिखाता है, जो छोटे घरों में रहते हैं लेकिन उनके सपने बड़े होते हैं।

दशामी क्रिएशन्स इस शो का निर्माण कर रहे हैं। इस शो के लिए मशहूर अभिनेत्री शिव्या पठानिया को फीमेल लीड रावी का रोल निभाने के लिए चुना गया है वहीं मराठी स्टार स्तावन शिंदे, विशी की भूमिका निभा रहे हैं। इस शो के बारे में अधिक जानकारी के लिए इसी स्थान पर पढ़ते रहिए।

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