- ‘भाखरवड़ी’ शो का कॉन्सेप्ट क्या है?
मेरे हिसाब से यह शो जिंदगी का एक सार है, जिसमें दो परिवार मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। एक मराठी परिवार है और दूसरा गुजराती, दोनों ही एक ही जगह पर भाखरवड़ी का बिजनेस कर रहे हैं और इसलिये इस शो का नाम ‘भाखरवड़ी’ रखा गया। परिवार के दोनों मुखिया आपस में प्रतिद्वंद्वी बन गये हैं और उनके बेटे व बेटी के बीच प्यार हो जाता है, बस इतनी सी यह कहानी है।
इस शो को जिस तरह से बनाया गया है उससे मैं बेहद खुश हूं, क्योंकि इसमें कई सारे बेहतरीन किरदार हैं, आपसी रिश्ते और साथ ही बारीकी से इसे तैयार किया गया है। इन चीजों को पटकथा में ही काफी अच्छी तरह निभाया गया है, जिससे हम कलाकारों के लिये उसे निभाना आसान हो गया। मेरी यह आदत है कि मैं अपने किरदार को बेहतर बनाने और उसे डेवलप करने के लिये मेकर्स तथा डायरेक्टर से बात करता हूं। यही चीज मैंने ‘भाखरवड़ी’ के साथ भी की। हमने पूरी टीम के साथ कुछ दिनों का वर्कशॉप भी रखा, जिससे हमें पूरी कास्ट के साथ बात करने का मौका मिला और हम एक-दूसरे को बेहतर समझ पाये। हालांकि, मैं कुछ कलाकारों के साथ पहले भी काम कर चुका हूं और उनके साथ मेरी काफी अच्छी दोस्ती भी है।
- अपने किरदार अन्ना के बारे में कुछ बतायें
अन्ना इस कहानी का नायक है और सिद्धांतों को मानने वाला है। यह कहानी उसके, उसके परिवार और उसके नये दोस्त महेंद्र के इर्द-गिर्द बुनी गयी है, जोकि बाद में दुश्मन बन जाता है। वह बहुत ही सख्त है और पुराने जमाने से जुड़ा हुआ है, क्योंकि वह अपने मूल्यों को बहुत मानता है। साथ ही वह अपनी पत्नी के साथ बहुत ही रोमांटिक रहता है और साथ ही इमोशनल भी हो जाता है, खासतौर से अपने एक बेटे अमोल को लेकर। अपनी बेटी के लिये बहुत इमोशनल होने बावजूद, अन्ना कुछ वजहों से अपने सारे रिश्ते तोड़ लेता है। वह सबसे छोटे बेटे अभिषेक पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है और उसे सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानता है। उसे लगता है कि वह एक ऐसा है जोकि अन्ना के जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठा सकता है।
अन्ना भाखरवड़ी का बिजनेस करता है और बहुत ही मजाकिया रूप में व्यंग्य करता है। उसे महाराष्ट्रियन होने पर गर्व है, यदि कोई ग्राहक ‘बाकरवाड़ी’ की जगह ‘भाखरवड़ी’ बोल देता है तो वह गुस्सा हो जाता है।
- आतिश कपाडि़या और जेडी मजेठिया के साथ काम करने के लिये आप कितने उत्सुक हैं?
हमने एक साथ कई सारे शोज किये हैं और इसलिये हमारे (परेश गनात्रा सहित) बीच इतना अच्छा तालमेल है; हम भाइयों जैसे हैं। इसलिये, एक-दूसरे के साथ हम काफी सहज हैं, जिससे किरदार और इस शो को काफी मदद मिली, क्योंकि हम एक-दूसरे से खुलकर बोल सकते हैं। यदि हम किसी बात से सहमत नहीं होते हैं तो लेकिन सब इसे सकारात्मक रूप में लेते हैं। मैं इस शो का निर्देशन नहीं कर रहा हूं, लेकिन मुझे पता है कि कहां चीजों को रोकना है और फिर अपने निर्देशन की सहमति से अपने किरदार में सुधार करता हूं, उनकी कुर्सी को सम्मान देते हुए। दरअसल ये सब इस शो के लेखक आतिश से शुरू हुआ; वह बीज की तरह हैं। वह अपने बच्चों की तरह अपने किरदारों को गढ़ते हैं। मैंने यह देखा है कि जेडी क्रिएटिव रूप में अपना काफी सहयोग दे रहे हैं। इसलिये, मैं इस शो का और भी ज्यादा आनंद ले रहा हूं।
- ‘भाखरवड़ी’ के सेट पर अब तक शूटिंग का अनुभव कैसा रहा है?
अब तक का अनुभव बहुत अच्छा रहा है और चूंकि अभी यह शुरुआत ही है, हम एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही अपने किरदारों से भी। हमारे मेकर्स ने हमें पूरी आजादी है और उन्होंने तालमेल बिठाने में अपनी भरपूर मदद दी है। यह हमें अपने पुराने शोज ‘बा बहू और बेबी’ की याद दिलाता है, जिसको लेकर हम बहुत भावुक थे। सेट का डिजाइन, रंगों का कॉम्बिनेशन और पारिवारिक रिश्ते, कहीं ना कहीं इसमें ‘बा बहू और बेबी’ का स्वाद है, और भी बेहतर रूप में। ऐसा इसलिये भी है क्योंकि मैं, आतिश, जेडी और परेश एक साथ काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से वैसा ही महसूस हो रहा है। हमारे डीओपी, विजय सोनी इस शो की शूटिंग फिल्म की तरह कर रहे हैं और वह जिस तरह का प्रयास इसमें कर रहे हैं, वह वाकई तारीफ के काबिल है। इस शो में इमोशन, ड्रामा और भरपूर ह्यूमर है, जोकि इसे वास्तविक बना रहा है।
- ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’, ‘खिचड़ी’ और ‘बा बहू और बेबी’ जैसे हिट शोज देने के बाद, ‘भाखरवड़ी’ से आपकी क्या उम्मीदें हैं?
इन सारे शोज़ के साथ जुड़ने को लेकर मुझे गर्व है, क्योंकि मैं उन तीनों में ही मैंने लंबे समय तक काम किया था। उन तीनों को ही काफी सराहा गया था और सबसे बड़ी बात यह है कि तीनों का ही कॉन्सेप्ट एक-दूसरे से बिलकुल अलग है। मुझे ऐसा लगता है ‘भाखरवड़ी’ अपना ही एक जोनर तैयार करेगा, जोकि बेहद अनूठा होगा और वही इस शो की यूएसपी होगी। इस शो के किरदार ऐसे हैं जिन्हें आपने टेलीविजन पर शायद ही पहले देखा होगा और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की भरपूर कोशिश कर रहा हूं और इस किरदार के साथ पूरी ईमानदारी निभाने की।
- इस तरह का मुख्य किरदार निभाना कितना चुनौतीपूर्ण होता है? इस तरह के कड़े सिद्धांतों को मानना और उनका पालन करना, इस बारे में आपकी क्या राय है?
कुछ हद तक मैं इस किरदार से खुद को जोड़ पाता हूं। मैंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस तरह के किरदार अपने परिवार या पड़ोस में देखे हैं या अपने आस-पास के जानने वालों में। कई बार आपको ऐसा महसूस होगा कि अन्ना गलत है, लेकिन उसके बावजूद आप इस किरदार की पसंद की वजह से उसे प्यार करेंगे। तो यह किरदार ही इतना समृद्ध है कि हर किसी को इसे निभाने का मौका नहीं मिला और मुझे ऐसा लगता है कि ऐसा दमदार किरदार निभाने का मौका मिला।
- क्या आपके किरदार और वास्तविक जीवन में कोई समानता है?
मैं भी कई बार अड़ जाता हूं और अन्ना की तरह ही कुछ सिद्धांतों को मानता हूं।
- क्या असलियत में आपको पता है कि ‘भाखरवड़ी’ किस तरह बनती है? या सामान्यतौर पर यह किस तरह बनता है?
मैं बस भाखरवड़ी खाना जानता हूं, चाहे वह महाराष्ट्रियन भाखरवड़ी हो या फिर गुजराती भाखरवड़ी।
- दर्शकों को ‘भाखरवड़ी’ में क्या पसंद आने वाला है?
सबकुछ। मुझे ऐसा लगता है कि दर्शकों को यह शो पसंद आने वाला है, इसका कॉन्सेप्ट, जिस तरह से रिश्तों को दिखाया गया है, इसका ह्यूमर, ड्रामा, इमोशन और सबसे जरूरी बात इस शो का नयापन।
- यदि आप वास्तविक जीवन में अन्ना की जगह होंगे तो आप इस तरह के प्रतिद्वंद्वी से किस तरह निपटेंगे?
सबसे पहली बात तो यह कि इस तरह के मामले में मैं अन्ना की तरह नहीं हूं। मैं प्रतिस्पर्धी नहीं हूं और इस तरह की प्रतिस्पर्धा से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। खुद से अपनी तुलना में मैं आमतौर पर खुद को बेहतर बनने की कोशिश करता हूं। मुझे तो अच्छा महसूस होता है यदि कोई बेहतर कर रहा होता है।
- इस भूमिका को स्वीकार करने की क्या वजह रही?
मुझे यह किरदार पसंद आया। किरदार के चित्रण के साथ उसके बोलने के अलग अंदाज के अलावा इस शो में काफी कुछ अलग है , जिसकी वजह से मैं इस भूमिका को करने के लिये खींचा चला आया था। एक एक्टर के तौर पर मैं काफी लंबे समय तक इससे दूर रहा था। मैं एक डायरेक्टर के तौर पर बहुत व्यस्त रहा हूं, चाहे मेरे दो टीवी शोज हों या पिछले साल आयी ‘कमांडो’ 2। उसका सबसे पहला कारणा था कि मैं एक एक्टर के तौर पर और काम करने के लिये इच्छुक नहीं था और दूसरी बात कि मुझे ऐसे प्रोजेक्ट नहीं मिल रहे थे कि जिससे मैं डायरेक्शन का काम छोड़ देता और एक एक्टर के तौर पर कुछ अपने हाथ में लेता।
तो, इन सारी बातों को मानते हुए, जब आतिश और जेडी ने मुझे इस किरदार को निभाने के लिये संपर्क किया था, तो उन्हें भी इस बात को लेकर संदेह था कि मैं इस भूमिका को हां कहूंगा या नहीं। आतिश ने मुझसे केवल इस शो की एक लाइन बोली और मैंने उनसे पूरी कहानी सुनाने की गुजारिश की। मैं फोन पर जितना भी सुना मैं उससे बेहद प्रभावित हुआ और वह मुझे तुरंत ही पसंद आ गया, तब उन्होंने मुझे इस किरदार के बारे में विस्तार से बताया। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि इससे पहले मैंने टेलीविजन पर ऐसा कुछ नहीं निभाया है और मैंने इस शो के लिये डायरेक्शन से थोड़ा ब्रेक लेने का फैसला किया। दरअसल, मुझे एक्टिंग की कमी खल रही थी और साथ ही किसी और के रूप में ढलने की।
साथ ही आतिश, जेडी और परेश के साथ दोबारा काम करने के बारे में सोचकर मैं बहुत उत्साहित था, क्योंकि हमने हमेशा ही एक साथ बहुत अच्छा वक्त बिताया है।
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