न्यूज़ डेस्क : बंगाल में चुनाव के बाद हो रही हिंसा का मामला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंंच गया। भाजपा प्रवक्ता व वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजे के बाद हो रहे खून खराबे, हत्या व बलात्कार आदि की घटनाओं की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। इस बीच एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की गुहार लगाई है। याचिका में कहा गया है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। ऐसे में वहां संविधान के अनुच्छेद-356 का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।
भाटिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जिन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में किसी अन्य पार्टी को वोट दिया था।कोलकाता में अभिजीत सरकार की हत्या का जिक्र करते हुए भाटिया ने कहा कि यह घटना इस बात का उजागर करने के लिए पर्याप्त है कि टीएमसी की छत्रछाया में पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का ‘नंगा नाच’ हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि मरने से कुछ समय पहले अभिजीत सरकार द्वारा फेसबुक में डाले गए एक वीडियो पोस्ट में यह कहा गया था कि किस तरह से टीएमसी के समर्थकों ने न केवल उनके घर व एनजीओ को तहस-नहस किया बल्कि लोगों को मारा भी। वीडियो पोस्ट करने के बाद अभिजीत की मौत हो गई।
टीएमसी कार्यकर्ताओं पर एफआईआर तक दर्ज नहीं
याचिका में सीबीआई जांच के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार को इन घटनाओं को लेकर दर्ज एफआईआरऔर इन घटनाओं में शामिल लोगों की गिरफ्तारी से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की गुहार भी लगाई गई है। भाटिया ने आरोप लगाया है कि टीएमसी का पुलिस व अन्य एजेंसियों पर इतना दबदबा है कि अब तक इस मामले में शामिल टीएमसी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
एनजीओ की याचिका में सेना तैनात की मांग
इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट नामक इस एनजीओ द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि गत दो मई को मतगणना के बाद ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं द्वारा भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के साथ बड़े पैमाने पर हिंसा की जा रही है। राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की गई है। एसआईटी से इस बात की जांच कराई जाए कि राज्य में हो रही हिंसा की घटनाओं के पीछे राजनेताओं की संलिप्तता तो नहीं है। याचिका में केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल में सीआरपीएफ और सेना की तैनाती करने का निर्देश देने की गुहार लगाई है ताकि वहां हो रही हिंसा पर रोक लगाई जा सके।
राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है। याचिका में कहा गया है कि दो मई को हुई विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद राज्य के लगभग सभी हिस्सों से आगजनी, हत्या, बलात्कार, लूटपाट, मारपीट आदि का घटनाएं सामने आ रही हैं। निजी सम्पतियों के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। याचिकाकर्ता संगठन की ओर से आरोप लगाया गया है कि इतना सब होने के बावजूद राज्य सरकार पुलिस को जरूरी कदम उठाने का निर्देश नहीं दे रही है। राज्य सरकार अपनी संवैधानिक दायित्व का पालन नहीं कर रही है।
पीएम ने जताई चिंता, राज्यपाल को किया फोन
उधर, बंगाल हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को फोन करके कानून और व्यवस्था कि स्थिति पर चिंता और दुख व्यक्त किया।
राज्यपाल धनखड़ ने किया ट्वीट
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार दोपहर को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फोन पर बात कर बंगाल में जारी हिंसा को लेकर चिंता व्यक्ति की है।
नड्डा पहुंचे कोलकाता, बोले-ऐसी असहिष्णुता हमने कभी नहीं देखी
बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव के परिणाम आने के बाद जो घटनाएं हमने देखीं वो झटका देने वाली हैं और हम इसे लेकर चिंतित हैं। मैंने भारत के विभाजन के दौरान ऐसी घटनाओं के बारे में सुना था। हमने स्वतंत्र भारत में एक चुनाव के परिणाम के बाद ऐसी असहिष्णुता पहले कभी नहीं देखी।
बता दें, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही हिंसा भड़क गई। बंगाल में खून खराबा जारी है। इसमें कथित तौर पर झड़प और दुकानों को लूटे जाने के दौरान कई भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई, तो कई घायल हो गए।
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