बजट से पहले, जाने क्या होता है राजकोषीय घाटा

न्यूज़ डेस्क : वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट एक फरवरी 2021 को पेश होगा। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इस साल पेश होने वाला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यकाल का तीसरा बजट होगा। बजट में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न शब्दों को हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे। आज जानिए बजट में अक्सर इस्तेमाल होने वाले शब्द राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के बारे में।

 

 

 

जब कोई सरकार अपने बजट में आय से अधिक खर्च दिखाती है तो इसे घाटे का बजट कहते हैं। आमतौर पर भारत सरकार घाटे का बजट ही दिखाती हैं। इससे जनता को यह संदेश मिलता है कि सरकार आय की अपेक्षा कल्याणकारी योजनाओं में खर्च ज्यादा कर रही है। 

 

 

इसके साथ ही इससे करदाताओं को भी यह लगता है कि सरकार उनसे कमाई नहीं कर रही बल्कि लोक कल्याण में खर्च कर रही है। बता दें कि बजट में तीन प्रकार के घाटे का ब्यौरा होता है- प्राथमिक घाटा, राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा। 

 

 

क्या होता है राजकोषीय घाटा  : सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है। राजकोषीय घाटे की भरपाई आमतौर पर केंदीय बैंक (रिजर्व बैंक) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिए छोटी और लंबी अवधि के बॉन्ड के जरिए पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है। 

 

 

राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। वित्त मंत्रालय प्रत्येक वर्ष बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 3.3 फीसदी का लक्ष्य तय किया था। अब बजट पूर्व पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण में पता चलेगा कि यह कहाँ तक पहुंचा है। राजकोषीय घाटा अधिक होने से महंगाई बढ़ने का खतरा होता है।

 

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