न्यूज़ डेस्क : लोकसभा में बुधवार को बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक, 2020 को पारित कर दिया गया। लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक सहकारी बैंकों को नियंत्रित नहीं करता है।
यह संशोधन सहकारी बैंकों को टेक ओवर करने के लिए नहीं
उन्होंने कहा कि यह संशोधन सहकारी बैंकों को टेक ओवर करने के लिए भी नहीं लाया गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि आरबीआई को कुछ शक्तियां देने के लिए विनियमन हो रहा है। लोकसभा में वित्त मंत्री ने कुछ बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं बताई।
277 सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं
उन्होंने कहा कि 277 सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। वहीं, उन्होंने कहा कि 152 कोऑपरेटिव बैंक मिनिमम रेग्युलेटरी कैपिटल को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 47 बैंकों की नेट वर्थ निगेटिव है। 328 शहरी शहकारी बैंकों का एनपीए अनुपात 15 फीसदी से ज्यादा है।
जमाकर्ताओं की रक्षा के लिए संशोधन
वित्त मंत्री ने कहा, हम जमाकर्ताओं की रक्षा के लिए इसमें संशोधन की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, जैसे कि बैंकों में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के चलते जमाकर्ताओं को कठिनाई में डाल दिया जाता है। ऐसे में यह संशोधन कारगर साबित हो सकता है।
सत्र के पहले दिन विधेयक को वापस ले लिया था
सत्र के पहले दिन, सीतारमण ने विधेयक को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि भारतीय रिजर्व बैंक को संकटग्रस्त सहकारी बैंकों के पुनर्गठन का मौका देने के लिए कुछ नई चीजों को जोड़ने के लिए इसे वापस लिया जा रहा है, जो बेहद जरूरी है। बता दें कि बजट सत्र के दौरान इस वर्ष 3 मार्च को विधेयक पारित किया गया था और बाद में एक अध्यादेश पारित किया गया था।
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