देश की शान कहे जाने वाले हमारे किसान भाई आजकल अपनी भविष्य की सुरक्षा को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर सरकार के नए कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं l कहने को तो इसमें सिर्फ दो राज्यों के किसान हैं हरियाणा और पंजाब l परंतु पूरे देश के किसानों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है और उन सबकी निगाह इस आंदोलन पर लगी हुई है, यह आंदोलन मुख्य रूप से सरकार द्वारा नए बिल में अनाज खरीदी के लिए सरकार द्वारा हर साल निर्धारित एमएसपी का जिक्र नहीं होना और किसी भी खाद्य वस्तु की लिमिट तय नहीं करना को लेकर है l
इस बिल के अनुसार कोई भी बड़ा व्यवसाय जितना भी चाहे उतना खाद्य सामग्री खरीद कर इकट्ठा कर सकता है और अपने मन मुताबिक मार्केट के रेट को प्रभावित कर सकता है, जिसका प्रभाव किसानों के साथ-साथ आम जनता पर पड़ेगा l साथ ही जो दूसरी मांग है की एमएसपी जिसको सरकार बोल रही है कि वह किसी भी वस्तु को जमा करने की लिमिट तय करे और एमएसपी रेट पर सरकार किसानों से उनके अनाज खरदेगी, परंतु किसानों की यह मांग है कि एमएसपी को बिल में लिखित रूप से शामिल किया जाएगा की यह कभी खत्म नहीं होगा बस यह दो मांग सरकार मानने को तैयार नहीं है और किसान इसके बगैर पीछे हटने को तैयार नहीं है l मुख्य रूप से अगर देखा जाए तो यह नया कृषि कानून चूहे और हाथी को एक मेज पर लाने की तैयारी और इन दोनो में किसका फ़ायदा होगा सब जानते है l देश में एक किसान के पास लगभग 3 एकड़ ज़मीन आता है l अब एक 3 एकड़ के मालिक से बड़े कॉरपोरेट घराने से क्या डील करेगा और क्या उनके साथ कोई भी समझौता कर सकता है ? तो अब पूरे मार्केट पर कॉर्पोरेट का कब्जा होगा और अपने अनुसार देश की कृषि व्यवस्था को बनाएंगे और अपने हिसाब से चलाएंगे और किसान कुछ नहीं कर पाएगा l
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जो सबसे मुख्य बात है इस बिल की वह यह की इस पूरे बिल में छोटे किसानों की आर्थिक सुरक्षा को लेकर कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है, उनको उनके हाल पर छोड़ दिया गया है l सबसे पहले ऐसा ही एक कानून अमेरिका सहित यूरोप में लागु हुआ था और इस नए बिल को उसकी कॉपी कह सकते है परन्तु आज भी अमेरिका में एक ऐसा ही बिल के लागू होने के 70 सालों बाद भी सरकार को किसानों को प्रोत्साहन राशि देना पड़ता है, उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए पैकेज देना पड़ता है और इस फेल हुए बिल को भारत सरकार आज अपने देश में लागू करने जा रही है l यह बिल इस देश में नया नहीं है ऐसा ही एक बिल बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में लागू किया था बिहार में, परंतु वहां भी इसका कोई फायदा नहीं हुआ और सभी किसानों की स्थिति वैसे ही है जैसे पहले थी तो, तो अब विदेशों में और देश में भी नकारे गए एक सिस्टम को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है , जिसमें किसानों की आर्थिक सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है इसमें सिर्फ बड़े बिचौलियों और बड़े बिजनेस घरानों को फायदा होगा और देश में खाद्य सामग्री की महंगाई बढ़ेगी या निश्चित है l भारत सरकार इसे क्रांतिकारी फैसला बोल रही है परंतु भारत के परिपेक्ष में अभी इतना बड़ा मार्केट और इतनी बड़ी तैयारियां नहीं है की इसका फायदा किसानों को मिल पाएगा l अभी भी किसान तकनीकी रूप से और बौद्धिक रूप से इतने सक्षम भी नहीं हैं कि वह अपने सामानों की बिक्री एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में कर पाए l इसका फायदा सिर्फ बड़े बिजनेस घरानों को फ़ायदा होगा कि जो सस्ता सामान एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचाने में सक्षम है l
किसानों के आड़ में बिजनेस घराने वाले कानूनी रूप से कानून का सहारा लेकर सामानों की स्मगलिंग पूर्ण रूप से वैध तरीके से करते हुए लाभ कमाएंगे और किसानों का शोषण होता रहेगा l किसान शोषित होते रहेंगे और यह चिंता की बात है कि जो भारत एक कृषि प्रधान देश है और जिसे किसानों का देश कहा जाता है जहां जय जवान, जय किसान का नारा लगता हो, जहां किसान को अन्नदाता बोला जाता है, जहां सभी चुनाव में किसानों की सुरक्षा का जिक्र होता है, जहां हर राजनीतिक दल किसानों की फायदे की बात करता हो, जहाँ पर किसान हमेशा हर साल आत्महत्या करते हो और जहाँ हर साल सड़क पर खड़े रहते हो तो यह सोचने की बात हो जाती है कि किसान जो कि हमारे देश का “शान” है वह कब तक सड़कों पर यूं ही भटकता रहेगा l अपने लिए, अपने भविष्य के लिए और अपने लिए न्याय की तलाश में खड़े इन किसानों पर एक कवि का यह कहना कि – एक आदमी रोटी बनाता है, एक आदमी रोटी खाता है और दूसरा एक आदमी ना रोटी बनाता है और ना रोटी खाता है बस रोटी के साथ खेलता है और रोटी उसकी हो जाती है l अब आप समझे की रोटी के साथ कौन खेल रहा है और रोटी किसके हिस्से में जायेगी ।
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