वर्तमान समय में जैसे जीवन को बचाने के लिए वैक्सीन की आवश्यकता है वैसे ही अर्थव्यवस्था को बचाने मे भी वैक्सीन का अहम रोल है । वर्तमान समय में जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से ग्रसित है तब जान और जहान दोनों बचाने के लिए ही हमें वैक्सीन की आवश्यकता है, वैक्सीन कैसे हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है इसको हम ऐसे समझ सकते हैं कि इंग्लैंड और अमेरिका जहां कोरोना की पहली लहर ने बहुत तबाही मचाई, तब उन लोगों ने इससे सबक लेकर इंग्लैंड ने लगभग 92% नागरिकों को पहला वैक्सीन का डोस और 36 प्रतिशत नागरिकों को वैक्सीन का दूसरा डोस दे दिया है, वहीं अमेरिका ने 90% नागरिकों को पहला और 45% नागरिकों को वैक्सीन का दूसरा डोज दे दिया है और दोनों ही देश अपने बाजार को खोल चुके हैं और अमेरिका में कहीं-कहीं मास्क पहनना भी अनिवार्य नहीं है ।
वहीं जापान जो पहली लहर में बच गया था मगर वर्तमान दूसरी लहर में तो सबसे अधिक प्रभावित दिख रहा है । उसने पहली कोरोना की लहर से सबक नहीं लिया और वर्तमान समय में अपने सिर्फ 8% नागरिकों को पहला डोज और 3% नागरिकों को सिर्फ दूसरा डोज मिला है और वह अभी लॉकडाउन में है । वैसे ही हाल भारत के साथ है वर्तमान समय में 17% जनसंख्या को पहला डोज और 6 प्रतिशत लोगो को दूसरा डोज दिया जा चुका है और दोनों ही देश कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित है । बड़ी बात यह है की 2020 मे सभी देशों की हालत एक जैसी थी परंतु सिर्फ नागरिकों को वैक्सीन दे के कुछ देशों ने जान और जहान दोनों बचाने में सफलता हासिल कर ली । भारत जो कि वैक्सीन उत्पादन में लीडर था उसके बावजूद वो सचेत नहीं हुआ और उत्पादन में लीडर होने के बावजूद वैक्सीनेशन में सबसे पीछे रहा, जिसका नतीजा आज भारत की अर्थव्यवस्था मे कोई सुधार न होना और कितने लोगों की जान चले जाना है । पिछले साल भारत को कोरोना से 20 लाख करोड का नुकसान हुआ था और वर्तमान साल मे भी लगभग 5:30 लाख करोड के नुकसान की संभावना है । इस तरह भारत को 1 साल के अंदर जीडीपी मे लगभग 25 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है इसकी भरपाई करने में 3 से 4 साल लगेंगे और इसमें पेट्रोल और डीजल की महंगाई नै और नमक लगाने का काम किया है और इसका असर है की देश में महंगाई बढ़ती जा रही है । इसका एक और प्रभाव यह पड़ रहा है कि देश में मांग और खपत मे बहुत बड़ा अंतर पैदा हो गया है जो अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है ।
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अभी भारत में जहां 18 प्लस वालों को वैक्सिन देने की सरकार ने इजाजत दी है , वही पूरा विश्व अब अपने संपूर्ण नागरिकों को जिसमें बच्चे भी शामिल है को वैक्सीन देने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि अनुमान के अनुसार तीसरा लहर में सबसे अधिक प्रभावित बच्चे होंगे । अमेरिका ने इसे अपने देश मैं शुरू भी कर दिया और वहां बच्चों को वैक्सीन लगने भी चालू हो गया है । भारत को अपने सभी नागरिकों को बच्चों सहित वैक्सीन लगाने के लिए 2.7 अरब वैक्सीन की आवश्यकता होगी जोकि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए, 3 से 4 साल लग जाएंगे । सरकारी जैसा बोल रही है कि दिसंबर तक सभी को वैक्सीन लग जाएगा उसके लिए भारत को प्रति दिन 65 लाख वैक्सीन लगाने होंगे अगर सिर्फ 18 प्लस को लगाता है तब और अगर सभी को बच्चों सहित लगाने कि भारत तैयारी करें तो लगभग 1. 3 करोड़ वैक्सीन भारत को रोज लगाने होंगे जोकि वर्तमान व्यवस्था को देखते हुए संभव नहीं प्रतीत हो रहा है । अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक और बात है कि जो राज्य सबसे पहले अपने सभी नागरिकों को वैक्सिन लगाएगा सबसे पहले मंदी से बाहर निकलेगा , लेकिन जो बड़े राज्य हैं जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जब तक ये राज्य पूर्णरूप से टीकाकरण नही करेंगे भारत मंदी से बाहर नहीं निकलेगा और भारत की अर्थव्यवस्था में कोई खास सुधार दिखाई नहीं देगा ।
इसलिए सरकार को सबसे पहले उन शहरों के वैक्सीनेशन पर जोर देना चाहिए जो आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है । वर्तमान में भारत में 8.50 करोड़ टीका का उत्पादन हो रहा है और हम लगभग प्रत्येक महीने 5 करोड़ वैक्सीन लगा रहे है मतलब अभी भी हमारे पास प्रत्येक माह 3.5 करोड़ वैक्सीन सरप्लस है । जिसका हम उपयोग नहीं कर पा रहे हैं , और अगर हमें सबको दिसंबर तक वैक्सीन देना है तो प्रत्येक दिन लगभग 1 करोड़ वैक्सीन का डोज देना होगा जो असंभव सा दिखता है और वर्तमान व्यवस्था को देखते हुए भारत को यह टारगेट पूरा करने में 2023 लग जाएंगे और भारत की अर्थव्यवस्था को मंदी से उबरने में 2024 तक का समय लग सकता है । अगर भारत के अर्थव्यवस्था के नजरिए से हम देखें तो सरकार अगर आज के परिस्थिति में जितनी जल्दी सबको वैक्सीन लगती है तो उसके पूरे जीडीपी का 0. 6 प्रतिशत लगभग 1. 2 लाख करोड़ खर्च करना होगा परंतु सरकार अगर वैक्सीन लगाने में देर करेगी तो यह खर्च 0.6 % से बढ़ कर 2 प्रतिशत तक जा सकता है मतलब डेढ़ से 2 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान होगा जोकि बहुत बड़ा नुकसान होगा । तो अर्थव्यवस्था के रिकवरी के लिए पूरे हिंदुस्तान के नागरिकों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगाना होगा तोही अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी । आज की परिस्थितियों में इंसान के जीवन के साथ साथ वैक्सीन अर्थव्यवस्था के लिए भी सामान महत्व रखता है । आज वैक्सीन मानव के साथ साथ अर्थव्यवस्था को भी बचाने के लिए महत्वपूर्ण है । जैसा कहा जा रहा है कि हमें जान और जहान दोनों बचाने हैं । अब यह वैक्सीन ही है जो दोनो को बचाएगा । अब हमे यह तय करना है की हम इंसानों के साथ साथ हमारी अर्थव्यवस्था को कब तक और कितनी जल्दी वैक्सीन लगती है ।
विश्वबंधु, संपादक
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