अभी भारत महान मे सभी विपक्षी दलों के बीच एक ही गाना चल रहा है मिले सुर मेरा तुम्हारा और प्रधानमंत्री बने हमारा l परन्तु यह कौन होगा कोई नहीं कह रहा और शायद यह पहली बार हो रहा है की हर बडे नेता के अन्दर प्रधानमंत्री बनने की दबी भावना जाहिर हो रही है l
वर्तमान मे एक प्रधानमंत्री है देश के जो खुद को अगला प्रधानमंत्री घोषित कर चुके है l दुसरे है राहुल गाँधी जिन्हों ने भी प्रधानमंत्री बनने की घोषणा कर दी है , मायावती अपनी भावना जाहिर कर चुकी है वही ममता बनर्जी ने कोलकाता मे यूनाइटेड इंडिया रैली का आयोजन कर अपनी प्रधानमंत्री बनने की भावना का खुलकर इज़हार कर दिया है l वही चंद्रबाबू नायडू के दिल मे भी प्रधानमंत्री का सपना पल रहा है l अब सवाल यह उठता है की यह सभी विपक्षी दल मोदी के विरुद्ध है और उनको सत्ता से हटाना चाहते है और गठबंधन का प्रधानमंत्री बनाना चाहते है, परन्तु वो आपस मे खुद एक दुसरे के भी विरुद्ध है और इन परिस्थिति मे यह कैसे संभव है l
परन्तु इस गठबंधन का नेता कौन होगा , गठबंधन कैसा होगा और क्या सभी सच मे एक हो सकते है यह तो तय नहीं है और इसका पता भविष्य मे चलेगा l परन्तु वर्तमान परिस्थिति तो यह कह रही है की इन सब का साथ मिल कर चुनाव लड़ना संभव नहीं दिख रहा जैसा यह लोग रैली मे साथ दिखते है l इसका ताज़ा उदहारण यूपी है जहा अखिलेश और मायावती ने कांग्रेस को दरकिनार कर अपना गठबंधन कर लिया l सभी दल की अपनी -अपनी प्राथमिकता है और सभी के मत मोदी को हटाने को छोड़ कर अलग -अलग है या ऐसा कहे की सभी के अपने आज़ाद लब है जिससे वो अपनी-अपनी अलग डपली अलग राग गा रहे है l
कोलकाता मे ममता बनर्जी के नेतृत्व मे हुए रैली मे 22 दल शामिल हुए और इतना ही नहीं इन 22 दलों मे से 20 दलों के अध्यक्ष शामिल हुए, यह ज्यादा धयान देने वाली बात है l इस रैली मे राहुल गाँधी शामिल नहीं हुए जो की साफ़ दर्शाता है की वो ममता की महत्वाकांक्षी से वाकिफ नहीं रखते और वो ममता को गठबंधन का नेता बनाना नहीं चाहते l वही इस मंच पर उपस्थित सभी नेताओं ने मोदी पर जम कर हल्ला बोला , मोदी को हटाने की बात की परन्तु यह किसी नै नहीं कहा की उनका नेता कौन होगा l इस मंच पर चार वतर्मान मुख्यमंत्री , आठ पूर्व मुख्यमंत्री एक पूर्व उप मुख्यमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री भी मौजूद थे l सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बीजेपी के शत्रुघन सिन्हा और यशवंत सिन्हा की मौजूदगी रही l मंच पर 11 राज्यों के 13 ऐसे क्षेत्रीय दल थे जहा से लोकसभा की 343 सीटे आती है यानि की कुल 63 % सीते l अगर जो नजारा इस मंच पर दिखा वो एकता के एक सूत्र मे बंध गए और कांग्रेस ने अपनी महत्वाकांक्ष को छोड़ इन का साथ दे दिया तो बीजेपी के लिए मुश्किल भारी राह हो सकती है l
परन्तु अगर इतिहास पर धयान दे तो इस देश मे अभी तक 5 गठबंधन की सरकार बनी है परन्तु वो अटल बिहारी बाजपयी की गठबंधन सरकार को छोड़ कर ज्यादा सफल नहीं हो पाई है l इसलिए गठबंधन सरकार देश हित मे नहीं है और पूर्व के अनुभवों को देखते हुए यह संदेह है की गठबंधन सरकार सफल होगी l अंत मे यही कह सकते है की आज़ाद भारत मे आज़ाद लब सबके पास है परन्तु वो इसका इस्तमाल नहीं करती और इन राजनितिक पार्टियों के सुर मे सुर मिला कर गाती रही है और पार्टिया इसी का फ़ायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करती रहती है l अब तो हम सब बस इंतज़ार कर सकते है इनके गीत मिले सुर मेरा तुम्हारा, प्रधानमंत्री बने हमारा का जनता क्या जवाब देती है और किसको अपना प्रधानमंत्री बनाती है l
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