आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

कार्यक्रम में उपस्थित मंत्री परिषद के मेरे साथी स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया जी, मंत्रिमंडल के मेरे अन्य सभी सहयोगी, वरिष्ठ अधिकारीगण, देश भर से जुड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक, हेल्थ मैनेजमेंट से जुड़े लोग, कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयो और बहनों।

21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए भारत के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बीते सात वर्षों में, देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने का जो अभियान चल रहा है, वो आज से एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है और ये सामान्य चरण नहीं है, ये असामान्य चरण है। आज एक ऐसे मिशन की शुरुआत हो रही है, जिसमें भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की बहुत बड़ी ताकत है।

साथियों,

तीन साल पहले पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्मजयंती के अवसर पर पंडित जी को समर्पित आयुष्मान भारत योजना, पूरे देश में लागू हुई थी। मुझे खुशी है कि आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरू किया जा रहा है। ये मिशन, देश के गरीब और मध्यम वर्ग की इलाज में होने वाली जो दिक्कते हैं, उन दिक्कतों को दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। टेक्नॉलॉजी के माध्यम से मरीज़ों को पूरे देश के हज़ारों अस्पतालों से कनेक्ट करने का जो काम आयुष्मान भारत ने किया है, आज उसे भी विस्तार मिल रहा है, एक मजबूत टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म मिल रहा है।

साथियों,

आज भारत में जिस तरह टेक्नोलॉजी को गुड गवर्नेंस के लिए, गवर्नेंस सुधारने का एक आधार बनाया जा रहा है, वो अपने आप में जनसामान्य को empower कर रहा है, ये अभूतपूर्व है। डिजिटल इंडिया अभियान ने भारत के सामान्य मानवी को डिजिटल टेक्नोल़ॉजी से कनेक्ट करके, देश की ताकत अनेक गुना बढ़ा दी है और हम भलीभांति जानते हैं, हमारा देश गर्व के साथ कह सकता है, 130 करोड़ आधार नंबर, 118 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर्स, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट यूज़र, करीब 43 करोड़ जनधन बैंक खाते, इतना बड़ा कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में कहीं नहीं है। ये डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, राशन से लेकर प्रशासन तक हर एक को तेज़ और पारदर्शी तरीके से सामान्य भारतीय तक पहुंचा रहा है। UPI के माध्यम से कभी भी, कहीं भी, डिजिटल लेनदेन में आज भारत दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। अभी देश में जो e-Rupi वाउचर शुरू किया गया है, वो भी एक शानदार पहल है।

साथियों,

भारत के डिजिटल समाधानों ने कोरोना से लड़ाई में भी हर भारतीय को बहुत मदद की है, एक नई ताकत दी है। अब जैसे आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में एक सजगता लाना, जागृति लाना, पूरी परिस्थि‍तियों को पहचानना, अपने आस-पास के परिसर को जानना, इसमें आरोग्य सेतु ऐप ने बहुत बड़ी मदद की है। उसी प्रकार से सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन अभियान के तहत भारत आज करीब-करीब 90 करोड़ वैक्सीन डोज लगा पाया है आप उसका रेकॉर्ड उपलब्ध हुआ है, सर्टिफिकेट उपलब्ध हुआ है, तो इसमें Co-WIN का बहुत बड़ा रोल है। रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्टिफिकेशन तक का इतना बड़ा डिजिटल प्लेटफॉर्म, दुनिया के बड़े-बड़े देशों के पास नहीं है।

साथियों,

कोरोना काल में टेलिमेडिसिन का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। ई-संजीवनी के माध्यम से अब तक लगभग सवा करोड़ रिमोट कंसल्टेशन पूरे हो चुके हैं। ये सुविधा हर रोज़ देश के दूर-सुदूर में रहने वाले हजारों देशवासियों को घर बैठे ही शहरों के बड़े अस्पतालों के बड़े-बड़े डॉक्टरों से कनेक्ट कर रही है। जाने-माने डॉक्टरों की सेवा आसान हो सकी है। मैं आज इस अवसर पर देश के सभी डॉक्टरों, नर्सेस और मेडिकल स्टाफ का हृदय से बहुत आभार व्यक्त करना चाहता हूं। चाहे वैक्सीनेशन हो, कोरोना के मरीजों का इलाज हो, उनके प्रयास, कोरोना से मुकाबले में देश को बड़ी राहत दे पाए हैं, बहुत बड़ी मदद कर पाए हैं।

साथियों,

आयुष्मान भारत- PM JAY ने गरीब के जीवन की बहुत बड़ी चिंता दूर की है। अभी तक 2 करोड़ से अधिक देशवासियों ने इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है और इसमें भी आधी लाभार्थी, हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियां हैं। ये अपने आप में सुकुन देने वाली बात है, मन को संतोष देने वाली बात है। हम सब जानते हैं हमारे परिवारों की स्थिति‍, सस्ते इलाज के अभाव में सबसे अधिक तकलीफ देश की माताएं-बहनें ही उठाती थीं। घर की चिंता, घर के खर्चों की चिंता, घर के दूसरे लोगों की चिंता में हमारी माताएं-बहनें अपने ऊपर होने वाले इलाज के खर्च को हमेशा टालती रहती हैं, लगातार टालने की कोशिश करती हैं, वो ऐसे ही कहती हैं कि नहीं अभी ठीक हो जाएगा, नहीं ये तो एक दिन का मामला है, नहीं ऐसे ही एक पुड़िया ले लुंगी तो ठीक हो जाएगा क्योंकि मां का मन है ना, वे दुख झेल लेती हैं लेकिन परिवार पर कोई आर्थि‍क बोझ आने नहीं देती हैं।

साथियों,

जिन्होंने आयुष्मान भारत के तहत, अभी तक इलाज का लाभ लिया है, या फिर जो उपचार करा रहे हैं, उनमें से लाखों ऐसे साथी हैं, जो इस योजना से पहले अस्पताल जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते थे, टालते रहते थे। वो दर्द सहते थे, जिंदगी की गाड़ी किसी तरह खींचते रहते थे लेकिन पैसे की कमी की वजह से अस्पताल नहीं जा पाते थे। इस तकलीफ का ऐहसास ही हमें भीतर तक झकझोर देता है। मैं ऐसे परिवारों से मिला हूँ इस कोरोना काल में और उससे पहले ये आयुष्मान की जब जो लोग सेवाएं लेते थे। कुछ बुजुर्ग ये कहते थे कि मैं इसलिए उपचार नहीं कराता था क्योंकि मैं अपनी संतानों पर कोई कर्ज छोड़कर के जाना नहीं चाहता था। खुद सहन कर लेंगे, हो सकता है जल्दी जाना पड़े, ईश्वर बुला ले तो चले जाएंगे लेकिन बच्चों पर संतानों पर कोई आर्थि‍क कर्ज छोड़कर के नहीं जाना है, इसलिए उपचार नहीं कराते थे और यहां इस कार्यक्रम में उपस्थित हम से ज्यादातर ने अपने परिवार में, अपने आसपास, ऐसे अनेकों लोगों को देखा होगा। हम से ज्यादातर लोग इसी तरह की चिंताओं से खुद भी गुजरे हैं।

साथियों,

अभी तो कोराना काल है, लेकिन उससे पहले, मैं देश में जब भी प्रवास करता था, राज्यों में जाता था। तो मेरा प्रयास रहता था कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों से मैं जरूर मिलूं। मैं उनसे मिलता था, उनसे बाते करता था। उनके दर्द, उनके अनुभव, उनके सुझाव, मैं उनसे सीधा लेता था। ये बात वैसे मीडिया में और सार्वजनिक रूप से ज्यादा चर्चा में नहीं आई लेकिन मैंने इसको अपना नित्य कर्म बना लिया था। आयुष्मान भारत के सैकड़ों लाभार्थियों से मैं खुद रू-ब-रू मिल चुका हूं और मैं कैसे भूल सकता हूं उस बूढ़ी मां को, जो बरसों तक दर्द सहने के बाद पथरी का ऑपरेशन करा पाई, वो नौजवान जो किडनी की बीमारी से परेशान था, किसी को पैर में तकलीफ, किसी को रीढ़ की हड्डी में तकलीफ, उनके चेहरे में कभी भूल नहीं पाता हूं। आज आयुष्मान भारत, ऐसे सभी लोगों के लिए बहुत बड़ा संबल बनी है। थोड़ी देर पहले जो फिल्म यहां दिखाई गई, जो कॉफी टेबल बुक लॉन्च की गई, उसमें खासकर के उन माताओं-बहनों की चर्चा विस्तार से की गई है। बीते 3 सालों में जो हज़ारों करोड़ रुपए सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं। कोई गरीब रहना नहीं चाहता है, कड़ी मेहनत करके गरीबी से बाहर निकलने के लिए हर कोई कोशि‍श करता है, अवसर तलाश्ता है। कभी तो लगता है कि हां बस अब कुछ ही समय में अब गरीबी से बाहर आ जाएगा और अचानक परिवार में एक बिमारी आ जाए तो सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती है। फिर वो पांच-दस साल पीछे उस गरीबी के चक्र में फंस जाता है। बीमारी पूरे परिवार को गरीबी के कुचक्र से बाहर नहीं आने देती है और इसलिए आयुष्मान भारत सहित, हेल्थकेयर से जुड़े जो भी समाधान सरकार सामने ला रही है, वो देश के वर्तमान और भविष्य में एक बहुत बड़ा निवेश है।

भाइयों और बहनों,

आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अस्पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही Ease of Living भी बढ़ाएगा। वर्तमान में अस्पतालों में टेक्नोलॉजी का जो इस्तेमाल होता है, वो फिलहाल सिर्फ एक ही अस्पताल तक या एक ही ग्रुप तक सीमित रहता है। नए अस्पताल या नए शहर में जब मरीज़ जाता है, तो उसको फिर से उसी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स के अभाव में उसको सालों-साल से चली आ रही फाइलें लेकर चलना प़ड़ता है। इमरजेंसी की स्थिति में तो ये भी संभव नहीं होता है। इससे मरीज़ और डॉक्टर, दोनों का बहुत सा समय भी बर्बाद होता है, परेशानी भी ज्यादा होती है और इलाज का खर्च भी बहुत अधिक बढ़ जाता है। हम अक्सर देखते हैं कि बहुत से लोगों के पास अस्पताल जाते समय उनका मेडिकल रिकॉर्ड ही नहीं होता। ऐसे में जो डॉक्टरी परामर्श होता है, जांच होती है, वो उसको बिलकुल जीरो से शुरू करनी पड़ती है, नए सिरे से शुरू करनी पड़ती है। मेडिकल हिस्ट्री का रिकॉर्ड ना होने से समय भी ज्यादा लगता है और खर्च भी बढ़ता है और कभी-कभी तो उपचार contradictory भी हो जाता है और हमारे गांव-देहात में रहने वाले भाई-बहन तो इस वजह से बहुत परेशानी उठाते हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की कभी अखबार में advertisement तो होती ही नहीं है। कानों-कान बात पहुंचती है कि फलाने डॉक्टर अच्छे हैं, मैं गया था तो अच्छा हुआ। अब इसके कारण डॉक्टरों की जानकारी हर किसी के पास पहुंचेगी कि भाई हां कौन ऐसे बड़े-बड़े डॉक्टर हैं, कौन इस विषय के जानकार हैं, किसके पास पहुंचना चाहिए, नजदीक में कौन है, जल्दी कहां पहुंच सकते हैं, सारी सुविधाएं और आप जानते हैं और मैं एक बात कहना चाहूंगा इन सभी नागरिकों को इस तरह की परेशानी से मुक्ति दिलाने में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन बड़ी भूमिका निभाएगा।

साथियों,

आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा। डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज़ खुद भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को ज़रूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। यही नहीं, इसमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं, ये सभी भी रजिस्टर होंगी। यानि ये डिजिटल मिशन, हेल्थ से जुड़े हर स्टेक-होल्डर को एक साथ, एक ही प्लेटफॉर्म पर ले आएगा।

साथियों,

इस मिशन का सबसे बड़ा लाभ देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को होगा। एक सुविधा तो ये होगी कि मरीज़ को देश में कहीं पर भी ऐसा डॉक्टर ढूंढने में आसानी होगी, जो उसकी भाषा भी जानता और समझता है और उसकी बीमारी के उत्तम से उत्तम उपचार का वो अनुभवी है। इससे मरीजों को देश के किसी कोने में भी उपस्थित स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करने की सलूहियत बढ़ेगी। सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि बेहतर टेस्ट के लिए लैब्स और दवा दुकानों की भी पहचान आसानी से संभव हो पाएगी।

साथियों,

इस आधुनिक प्लेटफॉर्म से इलाज और हेल्थकेयर पॉलिसी मेकिंग से जुड़ा पूरा इकोसिस्टम और अधिक प्रभावी होने वाला है। डॉक्टर और अस्पताल इस प्लेटफॉर्म का उपयोग अपनी सर्विस को रिमोट हेल्थ सर्विस प्रोवाइड करने में कर पाएंगे। प्रभावी और विश्वस्त डेटा के साथ इससे इलाज भी बेहतर होगा और मरीज़ों को बचत भी होगी।

भाइयों और बहनों,

देश में स्वास्थ्य सेवाओं को सहज और सुलभ बनाने का जो अभियान आज पूरे देश में शुरु हुआ है, ये 6-7 साल से चल रही सतत प्रक्रिया का एक हिस्सा है। बीते वर्षों में भारत ने देश में आरोग्य से जुड़ी दशकों की सोच और अप्रोच में बदलाव किया है। अब भारत में एक ऐसे हेल्थ मॉडल पर काम जारी है, जो होलिस्टिक हो, समावेशी हो। एक ऐसा मॉडल, जिसमें बीमारियों से बचाव पर बल हो,- यानि प्रिवेंटिव हेल्थकेयर, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ हो, सस्ता हो और सबकी पहुंच में हो। योग और आयुर्वेद जैसी आयुष की हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पर बल हो, ऐसे सभी प्रोग्राम गरीब और मध्यम वर्ग को बीमारी के कुचक्र से बचाने के लिए शुरु किए गए। देश में हेल्थ इंफ्रा के विकास और बेहतर इलाज की सुविधाएं, देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए, नई स्वास्थ्य नीति बनाई गई। आज देश में एम्स जैसे बहुत बड़े और आधुनिक स्वास्थ्य संस्थानों का नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है। हर 3 लोकसभा क्षेत्र के बीच एक मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी प्रगति पर है।

साथियों,

भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि गांवों में जो चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं, उनमें सुधार हो। आज देश में गांव और घर के निकट ही, प्राइमरी हेल्थकेयर से जुड़े नेटवर्क को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स से सशक्त किया जा रहा है। अभी तक ऐसे लगभग 80 हज़ार सेंटर्स चालू हो चुके हैं। ये सेंटर्स, रुटीन चेकअप और टीकाकरण से लेकर गंभीर बीमारियों की शुरुआती जांच और अनेक प्रकार के टेस्ट्स की सुविधाओं से लैस हैं। कोशिश ये है कि इन सेंटर्स के माध्यम से जागरूकता बढ़े और समय रहते गंभीर बीमारियों का पता चल सके।

साथियों,

कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को निरंतर गति दी जा रही है। देश के जिला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर ब्लॉक्स का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, बच्चों के इलाज के लिए जिला और ब्लॉक के अस्पतालों में विशेष सुविधाएं बन रही हैं। जिला स्तर के अस्पतालों में अपने ऑक्सीजन प्लांट्स भी स्थापित किए जा रहे हैं।

साथियों,

भारत के हेल्थ सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए मेडिकल एजुकेशन में भी अभूतपूर्व रिफॉर्म्स हो रहे हैं। 7-8 साल में पहले की तुलना में आज अधिक डॉक्टर्स और पैरामेडिकल मैनपावर देश में तैयार हो रही है। सिर्फ मैनपावर ही नहीं बल्कि हेल्थ से जुड़ी आधुनिक टेक्नॉलॉजी, बायोटेक्नॉलॉजी से जुड़ी रिसर्च, दवाओं और उपकरणों में आत्मनिर्भरता को लेकर भी देश में मिशन मोड पर काम चल रहा है। कोरोना की वैक्सीन के डवलपमेंट और मैन्यूफैक्चरिंग में भारत ने जिस तरह अपना सामर्थ्य दिखाया है, वो हमें गर्व से भर देता है। स्वास्थ्य उपकरणों और दवाओं के कच्चे माल के लिए PLI स्कीम्स से भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को बहुत ताकत मिल रही है।

साथियों,

बेहतर मेडिकल सिस्टम के साथ ही, ये भी जरूरी है कि गरीब और मध्यम वर्ग का दवाओं पर कम से कम खर्च हो। इसलिए केंद्र सरकार ने ज़रूरी दवाओं, सर्जरी के सामान, डायलिसिस, जैसी अनेक सेवाओं और सामान को सस्ता रखा है। भारत में ही बनने वाली दुनिया की श्रेष्ठ जेनरिक दवाओं को इलाज में ज्यादा से ज्यादा उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। 8 हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्रों ने तो गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत दी है और मैं जनऔषधि‍ केंद्रों से जो दवाईयां लेते हैं ऐसे मरीजों से भी पिछले दिनों में जो कई बार बात करने का मौका मिला और मैंने देखा है कुछ परिवार में ऐसे लोगों को डेली कुछ दवाईयां लेनी पड़ती है, कुछ उम्र और कुछ बिमारियों के कारण। इस जनऔषधि‍ केंद्र के कारण ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार के हजार, पंद्राह-सौ, दो-दो हजार रुपया हर महीना बचा रहा है।

साथियों,

एक संयोग ये भी है कि आज का ये कार्यक्रम वर्ल्ड टूरिज्म डे पर आयोजित हो रहा है। कुछ लोग सोच सकते हैं कि हेल्थ केयर के प्रोग्राम का टूरिज्म से क्या लेना देना? लेकिन हेल्थ का टूरिज्म के साथ एक बड़ा मजबूत रिश्ता है। क्योंकि जब हमारा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इंटीग्रेटेड होता है, मजबूत होता है, तो उसका प्रभाव टूरिज्म सेक्टर पर भी पड़ता है। क्या कोई टूरिस्ट ऐसी जगह आना चाहेगा जहां किसी इमरजेंसी में इलाज की बेहतर सुविधा ही न हो? और कोरोना के बाद से तो अब ये और भी महत्वपूर्ण हो गया है। जहां वैक्सीनेशन जितना ज्यादा होगा, टूरिस्ट वहां जाने में उतना ही सेफ महसूस करेंगे और आपने देशा होगा, हिमाचल हो, उत्तराखंड हो, सिक्किम हो, गोवा हो, ये जो हमारे टूरिस्ट डेस्टिनेशन वाले राज्य हैं, वहां बहुत तेजी से अंडमान निकोबार हो बहुत तेजी से वैक्सीनेशन को बल दिया गया है क्योंकि टूरिस्टों के लिए मन में एक विश्वास पैदा हो। आने वाले वर्षों में ये बात निश्चित है कि सारे फैक्टर और भी मजबूत होंगे। जिन-जिन जगहों पर हेल्थ इंफ्रा बेहतर होगा, वहां टूरिज्म की संभावनाएं और ज्यादा बेहतर होंगी। यानी, हॉस्पिटल और हॉस्पिटैलिटी एक दूसरे के साथ मिलकर चलेंगे।

साथियों,

आज दुनिया का भरोसा, भारत के डॉक्टर्स और हेल्थ सिस्टम पर लगातार बढ़ रहा है। विश्व में हमारे देश के डॉक्टरों ने बहुत इज्जत कमाई है, भारत का नाम ऊंचा किया है। दुनिया के बड़े-बड़े लोगों के साथ आप पूछोगे तो कहेंगे हां मेरा एक डॉक्टर हिन्दुस्तानी है यानि भारत के डॉक्टरों की नामना है। भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर अगर मिल जाए तो दुनिया से हेल्थ के लिए भारत आने वालों की संख्या बढ़नी ही बढ़नी है। इंफ्रास्ट्रक्चर की कई मर्यादाओं के बीच भी लोग, भारत में ट्रीटमेंट कराने के लिए आते हैं और उसकी कभी-कभी तो बड़ी इमोशनल कथाएं हमें सुनने को मिलती हैं। छोटे-छोटे बच्चे हमारे अड़ोस-पड़ोस के देशों से भी जब यहां आते हैं स्वस्थ हो कर के जाते हैं, बड़ा परिवार खुश बस देखने से खुशि‍यां फैल जाती हैं।

साथियों,

हमारे वैक्सीनेशन प्रोग्राम, Co-Win टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और फार्मा सेक्टर ने हेल्थ सेक्टर में भारत की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। जब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन द्वारा टेक्नोलॉजी की नई व्यवस्थाएं विकसित होंगी, तो दुनिया के किसी भी देश के मरीज को भारत के डॉक्टरों से कन्सल्ट करने, इलाज कराने, अपनी रिपोर्ट उन्हें भेजकर परामर्श लेने में बहुत आसानी हो जाएगी। निश्चित तौर पर इसका प्रभाव हेल्थ टूरिज्म पर भी पड़ेगा।

साथियों,

स्वस्थ भारत का मार्ग, आज़ादी के अमृतकाल में, भारत के बड़े संकल्पों को सिद्ध करने में, बड़े सपनों को साकार करने के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें मिलकर अपने प्रयास जारी रखने होंगे। मुझे विश्वास है, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्ति, हमारे डॉक्टर्स, पैरामेडिक्स, चिकित्सा संस्थान, इस नई व्यवस्था को तेजी से आत्मसात करेंगे। एक बार फिर, आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन के लिए मैं देश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ !!

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