नरेला स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच) आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ मुख्यधारा में लाने और एकीकृत करने में मदद करेगा: श्री सर्बानंद सोनोवाल
केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज दिल्ली के नरेला स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच) का दौरा किया। नरेला स्थित एनआईएच कलकत्ता के राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान से जुड़ा एक सहायक संस्थान है और यह उत्तरी भारत में स्थापित होने वाला अपनी तरह का पहला संस्थान होगा।
इस अवसर पर आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई कालूभाई, सांसद श्री हंसराज हंस, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और आयुष मंत्रालय व एनआईएच के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी राष्ट्रीय नीति में अन्य बातों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा में आयुष को मुख्यधारा में शामिल करने और स्वास्थ्य सेवा प्रदान के सभी स्तरों में शिक्षा एवं अनुसंधान में इन प्रणालियों को एकीकृत करने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने, होम्योपैथी में शिक्षा व अनुसंधान के लिए शीर्ष स्तर के संस्थान विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुझे विश्वास है कि यह होम्योपैथी संस्थान आयुष प्रणाली को लोकप्रिय बनाएगा और देश के उत्तरी क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करेगा।
दिल्ली के नरेला स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान की आधारशिला 16 अक्टूबर 2018 को रखी गई थी। यह संस्थान होम्योपैथी के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले पेशेवरों को तैयार करेगा। इस संस्थान में 07 विभाग होंगे और यह होम्योपैथी चिकित्सा के कई विषयों में पीजी और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम की सुविधा प्रदान करेगा। यह संस्थान औषधि विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन और होम्योपैथी एवं उसे जुड़ी कार्यप्रणाली के वैज्ञानिक सत्यापन के मूलभूत पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। यह संस्थान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में बेंचमार्क मानक स्थापित करेगा।
नरेला स्थित एनआईएच का निर्माण 287 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है और यह होम्योपैथी प्रणाली में वैश्विक प्रोत्साहन व अनुसंधान के एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विश्वविद्यालयों/अनुसंधान संगठनों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग करने में इस संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
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