मेडी-कैप्‍स विश्‍वविद्यालय में “केस मैथड” विषय पर फैकल्‍टी डेवलपमेंट प्रोग्राम सम्‍पन्‍न हुआ।

न्यूज़ डेस्क : मेडी-कैप्‍स विश्‍वविद्यालय में “केस मैथड” विषय पर फैकल्‍टी डेवलपमेंट प्रोग्राम इण्डियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इन्‍दौर में पदस्‍थ डॉ. डी.एल. सुन्‍दर के मुख्‍य आतिथ्‍य में सम्‍पन्‍न हुआ।

 

मेडी-कैप्‍स विश्‍वविद्यालय, पिगडम्‍बर, राउ, इन्‍दौर में फैकल्‍टी डेवलपमेंट प्रोग्राम विश्‍वविद्याल के सभागृह में “केस मैथड” विषय पर इण्डियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इन्‍दौर में स्‍ट्रेटेजिक मैनेजमेंट के प्रोफेसर डॉ. डी. एल. सुन्‍दर के मुख्‍य आतिथ्‍य में सम्‍पन्‍न हुआ।

 

सर्वप्रथम प्रभारी कुलपति और इंजीनियरिंग विभाग के डीन प्रोफ.(डॉ.) डी. के. पाण्‍डा ने मुख्‍य अतिथि का पुष्‍प गुच्‍छ भेंट कर स्‍वागत किया तत्‍पश्‍चात् श्री सुन्‍दर ने अपने व्‍याख्‍यान में बताया कि “केस मैथड” पद्धति का आविष्‍कार बीसवीं शताब्‍दी में हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय, अमेरिका में कानून के अध्‍यापक क्रिस्टोफर सी. लैंगडेल ने कानून को प्रभावशाली तरीके से पढ़ाने के लिए किया था।

 

यह शिक्षा प्रदान करने में उपयोग की जाने वाली एक पद्धति या दृष्टिकोण है। इसमें किसी व्‍यक्ति द्वारा किन्‍हीं बिन्‍दुओं पर कठिन निर्णय लेने के दौरान अपनाई गई भौतिक व मानसिक प्रक्रिया का अध्‍ययन किया जाता है। इन अध्‍ययनों से प्राप्‍त सर्वश्रेष्‍ठ परिणाम को भविष्‍य में अध्‍ययन की गई समस्‍या से गुजर रहे व्‍यक्ति को अपनाने की सलाह दी जाती है। अर्थात् इस पद्धति में विद्यार्थी को किसी के दीर्घ काल में हुए अनुभव का लाभ लेकर अपनी समस्‍या को तुरंत सुलझाने के लिए प्रेरित करना है। उन्‍होंने “केस मैथड” की तीन श्रेणियों फील्‍ड, डिसिज़न और फिक्‍शनल के बारे में भी विस्‍तार से चर्चा की।

 

उन्‍होंने सलाह दी कि कुछ क्षेत्र जैसे चिकित्‍सा, प्रबंधन, कानून की पढ़ाई में इस पद्धति का उपयोग अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

 

उन्‍होंने जानकारी दी कि हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय, अमेरिका में सभी विषयों की पढ़ाई “केस मैथड” पद्धति से होती है। भारत में लगभग सभी इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के अधिकांश पाठ्यक्रम इस पद्धति पर आधारित हैं। शेष पाठ्यक्रमों को भी इस पद्धति के अनुसार बनाए जाने के प्रयास जारी हैं।

 

उन्‍होंने अध्‍यापकों व विद्यार्थियों के लिए कहा कि इस पद्धति का उपयोग उन्‍हें अपने कार्यक्षेत्र में करना चाहिए जिससे कि वे छोटी-बड़ी वास्‍तविक समस्‍याओं का समाधान बेहतर तरीके से कर सके। इस पद्धति का उपयोग कर वे अपनी निर्णयन क्षमता को दिन-प्रतिदिन बेहतर बना सकते हैं। अध्‍यापक विषय की व्‍याख्‍या बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

 

कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के सभी संकाय सदस्‍य उपस्थित हुए। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. प्रद्युम्‍न यादव ने मुख्‍य अतिथि डॉ. डी. एल. सुन्‍दर तथा सभी आगंतुको का आभार माना तथा धन्‍यवाद दिया।

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