‘ASI किसके कहने पर काम करती है?’ – जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई पर रोक से नाराज सांसद बर्क

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 मार्च।
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “ASI किसके कहने पर काम करती है?” उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

क्या है पूरा मामला?

जामा मस्जिद, जो कि भारत की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में से एक है, की मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए रंगाई-पुताई का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि, ASI ने इस पर अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस फैसले के खिलाफ सांसद बर्क ने अपनी नाराजगी जाहिर की और इसे भेदभावपूर्ण करार दिया।

सांसद बर्क का बयान

सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा,
“जामा मस्जिद सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत भी है। जब अन्य ऐतिहासिक धरोहरों की मरम्मत की अनुमति दी जाती है, तो फिर जामा मस्जिद के साथ ऐसा रवैया क्यों अपनाया जा रहा है?”

उन्होंने आगे सवाल किया कि ASI अपनी नीतियां तय करने में स्वतंत्र है या फिर यह किसी के दबाव में काम कर रही है। बर्क ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाने की बात कही।

ASI का क्या कहना है?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का कहना है कि किसी भी ऐतिहासिक धरोहर पर कोई भी बदलाव या मरम्मत कार्य उनकी गाइडलाइंस के तहत ही किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की पेंटिंग या रंगाई से पहले विस्तृत तकनीकी समीक्षा जरूरी होती है, जिससे मूल संरचना को कोई नुकसान न पहुंचे।

राजनीतिक तकरार तेज

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने सरकार पर तुष्टीकरण और भेदभाव का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा नेताओं का कहना है कि ASI अपने नियमों के अनुसार काम कर रहा है और इसे राजनीति से जोड़ना गलत है।

क्या होगा आगे?

जामा मस्जिद प्रशासन ने इस मसले पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। सांसद बर्क ने भी स्पष्ट किया है कि वे इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ASI अपने रुख पर कायम रहता है या फिर दबाव में आकर कोई नया फैसला लेता है।

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