नई दिल्ली। इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह कुछ खास ही होगा। इतिहास में पहली बार भारत की शक्ति और संस्कृति देखने के लिए राजपथ के मंच पर न सिर्फ दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष होंगे। बल्कि आसियान और भारत की एकजुटता भी सामने दिखेगी। परेड में इंडो आसियान की एक या दो संयुक्त झांकी भी होगी। शायद यह भी दिखाने की कोशिश हो कि सभी इकट्ठे होकर कैसे बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
चीन के संदर्भ में यह बेहद अहम
गौरतलब है कि 1974 के बाद पहली बार एक से ज्यादा मुख्य अतिथि गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले 1968 और 1974 में ही ऐसा हुआ था जब गणतंत्र दिवस के मौके पर देश ने एक से ज्यादा मेहमानों की मेज़बानी की थी। 1968 में यूगोस्लाविया और सोवियत संघ तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि थे। जबकि 1974 में यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति के साथ श्रीलंका की प्रधानमंत्री सिरिमाओ भंडारनायके आई थीं। इस बार इतिहास रचा जा रहा है।
भारत के आसियान से जुड़ाव के 25 वर्ष
यह वर्ष भारत और आसियान देशों के लिए बेहद खास हैं , क्योंकि इस साल दक्षिण-पूर्व देशों के इस ब्लॉक के गठन के 50 वर्ष, तो इस संगठन से भारत के जुड़ाव को 25 वर्ष हो गए हैं। आसियान देशों से रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ भी भारत मन रहा हैं। नवंबर में पीएम मोदी ने फिलीपींस में हुई 15वीं आसियान समिट में हिस्सा लिया था, जहां उनकी अलग-अलग देशों के नेताओं के साथ बातचीत भी हुई थी। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के केंद्र में है।
News Source :- www.jagran.com
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