इस्लामाबाद । आतंकी संगठनों को हो रही आर्थिक फंडिंग को रोकने में कामयाब न रहने की वजह से फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने उसे संदिग्धों की सूची में डाल दिया है।
हालांकि पाकिस्तान ने ब्लैक लिस्ट में जाने से अपने को बचा लिया है। लेकिन पहले से ही चीन, सऊदी अरब और अपने बड़े सहयोगियों की आर्थिक मदद के भरोसे अर्थव्यवस्था संभालने वाला पाकिस्तान ग्रे लिस्ट यानि संदिग्धों सी सूची में जाने से बदहाल हो सकता है।
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों का कहना है कि संदिग्धों की सूची में आने के बाद आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन पाकिस्तान की रेटिंग गिरा सकते हैं। इसके साथ ही मूडीज, एस ऐंड पी और फिच द्वारा रेटिंग कम किए जाने का भी खतरा है।
परिणाम के तौर पर पाकिस्तानी शेयर बाजार के गिरने की आशंका है और इसका सीधा फायदा चीन को पहुंचेगा जो कि इस्लामाबाद की आर्थिक स्थिति का फायदा उठाकर अपने निवेश को बढ़ाने की कोशिश करेगा। रेटिंग गिरने की वजह से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से लोन भी ऊंचे ब्याज दर पर मिलेगा
और दुनिया में उसकी विश्वसनीयता में भी गिरावट आएगी। पाकिस्तान को संदिग्धों की सूची में डालने के बाद अब विदेशी लेनदेन में कमी आ सकती है और देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह भी कम हो सकता है। पाकिस्तान पहले से ही विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा है ऐसे में उसके चालू खाता घाटे के और भी बढ़ने की आशंका है।
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